जाति-संघर्ष की ज़मीन पर जुर्म और सियासत के हमजोली ‘विकास’ का एक अधूरा सिलसिला…

उसने न सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों को तीन गांवों की प्रधानी दिलवायी बल्कि खुद के लिए भी जिला पंचायत सदस्य का पद प्राप्त किया। इस पद पर वो 15 वर्षों तक काबिज़ रहा। विकास का प्रभाव क्षेत्र अब शिवली समेत मंधना, बिल्हौर, शिवराजपुर और कानपुर शहर तक फैल चुका था।

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भारत-चीन सीमा विवाद पर गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुन्दरलाल का यशस्वी लेख

पं. सुन्दरलाल महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी हैं तथा गांधीवादी के रूप में विख्यात हैं। ब्रिटिश शासन के जमाने में उन्होंने हलचल मचा देने वाली एक किताब लिखी थी ‘भारत में अंग्रेजीराज’, जिसे ब्रिटिश सरकार ने तुरंत जब्त कर लिया था। 1951 ई. में वे चीन जाने वाले भारतीय शिष्टमंडल के नेता थे। वहां से लौटकर उन्होंने चीन के संबंध में ‘आज का चीन’ प्रसिद्ध पुस्तक लिखी।

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नेपाल में ओली-प्रचंड संघर्ष के पीछे एमसीसी की क्रोनोलॉजी को समझिए

प्रचंड खेमा ओली के विरोध के पीछे समझौते के अलावा भी कई कारण गिनाता है. मिसाल के लिए, प्रचंड खेमे का आरोप है कि दो पार्टियों के बीच एकता के वक्त जो प्रतिबद्धताएं से ओली ने की थीं वह उनसे पीछे हट गए हैं. इन प्रतिबद्धताओं में से एक थी कि ओली और प्रचंड बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद संभालेंगे.

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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और प्रचंड के बीच जारी झगड़े के पीछे क्या है?

ओली और प्रचंड के बीच जो टकराव चल रहा है वह सिर्फ इन दो नेताओं की टक्कर का मामला नहीं है बल्कि यह नेपाल की भूराजनीति को और चीन के साथ उसके संबंध को लंबे कालखंड के लिए बदल सकता है.

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मास्क लगाओ, पढ़ते जाओ: एक प्रकाशक और एक दर्ज़ी के सह-अस्तित्व की साझा लड़ाई और अपील

नवायन को समझ में आया कि जिस तरह किताबों से लेकर दर्जियों तक सब पर लॉकडाउन की मार पड़ी है, कुछ ऐसा किया जाना चाहिए ताकि दोनों अपने अपने अस्तित्व को एक दूसरे के सहारे बचा सकें. इस तरह बुनावट और लिखावट की दुनिया का संगमेल हुआ.

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इब्ने इंशा: एक शायर, एक दीवाना, जिसका काटा सोते में भी मुस्कुराता है…

जब एक अदीब और शायर गद्य और पद्य दोनों में एक जैसी महारत रखता है तो अक्सर ऐसा होता है कि उसका एक पहलू लोगों की निगाह से ओझल हो जाता है. इब्ने इंशा के साथ भी ऐसा ही हुआ है. कुछ सिर्फ़ उनकी शायरी को जानते हैं और कुछ सिर्फ़ उनके गद्य को.

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कोरोना की आड़ में मीडिया को ‘पत्रकारों’ से सैनिटाइज़ करने की साज़िश है इस दौर की छंटनी!

कोरोना महामारी के चढ़ते ग्राफ़ के बीच पत्रकारों की नौकरी जिस गति से जा रही है, वह दिन दूर नहीं जब कोरोना से संक्रमित होने वाले नागरिकों की संख्‍या को …

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स्मृतिशेष डॉ. श्याम बिहारी राय: वह अंतिम समय तक आंदोलनकारी की भूमिका में ही रहे

डॉ. श्याम बिहारी राय से मेरे पहली मुलाक़ात 1970 के दशक के शुरुआती वर्षों में किसी समय दिल्ली में हुई थी और तब से अंत तक उनके साथ जीवंत संबंध …

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भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता की जड़ें औपनिवेशिक काल के अभिजन मुसलमानों तक जाती हैं

जिस तरह से हिन्दू साम्प्रदायिकता का अपना अलग आधार है उसी तरह से मुस्लिम साम्प्रदायिकता का। दोनों एक दूसरे के सहारे पली पुसी हैं यह इस समस्या एक पहलू भर …

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मोदी सरकार की स्वामित्व योजना: गांवों को भी टैक्स के दायरे में लाने की तैयारी

पंचायती राज दिवस के मौके पर 24 अप्रैल, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने देश के ग्राम प्रधानों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये सम्बोधित किया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री जी …

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