दक्षिणावर्त: बड़े लोगों के आपसी हास्य-विनोद और वाम-उदार चिंतकों का भोलापन

यह सरकार शिक्षा के साथ खिलवाड़ के मामले में अब तक की सभी सरकारों से अधिक सक्रिय है, तो यह बहुत राहत की बात है कि अब तक इस सरकार ने कोई नयी यूनिवर्सिटी खोलने की नहीं सोची है, वरना नालंदा के बाद बारी तो तक्षशिला की ही थी।

Read More

बात बोलेगी: जो जीता वही सिकंदर, जो हारा वो जंतर-मंतर!

अगर बाहर यानी सदन के अलावा कहीं भी ठीक यही सुरक्षा, संरक्षण, मर्यादा व सभ्यता नहीं है तो सदन पर भी इसका प्रत्यक्ष प्रभाव होगा। सदन को मिली विशिष्टता उसे सुरक्षा देने में कभी भी चूक जाएगी।

Read More

राग दरबारी: नैतिकता की नंगी चौकी, मेहता मास्टर की चादर और गयादीन का सबक

आज जब हमारे देश में एक आदमी की औसत आय साढ़े दस हजार (1 लाख 26 हजार 968 रुपए सालाना) रुपए प्रति महीने के करीब है तो हमारे देश में प्रोफेसरानों को तकरीबन ढाई लाख रुपए हर महीने मिलता है, फिर भी वे पब्लिक विश्वविद्यालय को छोड़कर निजी विश्वविद्यालय की तरफ दौड़े जा रहे हैं।

Read More

पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास

देवास की मिट्टी काली कपासी मिट्टी है जिसमें कण बेहद बारीक होते हैं. इससे सतह पर बहने वाला जल रिसकर भूजल को रिचार्ज नहीं कर पाता. बहरहाल, मिट्टी की समस्या का समाधान भी मिट्टी ने ही निकाला.

Read More

दक्षिणावर्त: दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख…

टीवी सीरीज में या पूरे समाज में जो हो रहा है, वह एक-दूसरे का पूरक है या प्रतिबिंब? यदि प्रतिबिंब है तो जो बेचैनी, जो क्रांति न्यूज-चैनल्स को देख कर महसूस होती है, वह मोटे तौर पर समाज में अनुपस्थित क्यों है, जो समस्याएं या टकराव बहुमत वाले समाज में हैं, वह टीवी या सिनेमा से अनुपस्थित क्यों है?

Read More

तिर्यक आसन: कुत्ते, फ़कीरी और कान से सूंघने वाले दीवान जी

शुद्ध फकीर को पालने का जतन नहीं करना पड़ता। वो सर्वहारा की तरह पल जाता है। शुद्ध फकीर समाज की गंदगी साफ करता है। संकर फकीर की गंदगी समाज को साफ करनी पड़ती है।

Read More

बात बोलेगी: दांडी की हांडी में पक रहा है “नियति से मिलन” का संदेश!

आने वाले 75 सप्ताहों तक ऐसा ही कुछ-कुछ होता रहेगा ताकि आज़ादी की हीरक यानी डायमंड जुबली मनाते समय आज़ादी के मूल आंदोलन में न सही, लेकिन उसके नाट्य रूपान्तरण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अत्यंत सक्रिय भूमिका का उल्लेख किया जा सके।

Read More

राग दरबारी: बिहार में पिछड़ों की राजनीति किसके इर्द-गिर्द घूम रही है?

आज के हालात में विधानसभा में आए परिणाम के बाद नीतीश व कुशवाहा दोनों को लग गया है कि गैर-राजद पिछड़ों का पूरा का पूरा जनाधार कहीं बीजेपी में शिफ्ट न हो जाए।

Read More

पंचतत्व: अकाल और सूखे की वजह है जल संरक्षण की सूखती परंपराएं

भारत के हालिया जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस का परिवर्तन देखा गया है. स्थानीय और वैश्विक तापमान में हुई इस बढ़ोतरी का सीधा असर हमें विभिन्न मौसमी घटनाओं में आए तेज बदलाव के रूप में देखने को मिल रहा है.

Read More

दक्षिणावर्त: सहस्रबुद्धि विमर्शों की ‘टोकरी में अनंत’ पाठों से बनता यथार्थ

क्‍या वाकई यह पहली सरकार है जिसने महिलाओं (कम से कम हिंदी साहित्‍य में) का सही में सम्मान किया है? या फिर ऐसा है कि बीते सात दशक के दौरान कृष्‍णा सोबती से लेकर चित्रा मुद्गल वाया अलका सरावगी, मृदुला गर्ग और नासिरा शर्मा (सभी उपन्‍यासकार) हिंदी की कोई कवियत्री अकादमी पुरस्‍कार के लायक हुई ही नहीं?

Read More