आर्टिकल 19: उत्तर प्रदेश के चुनावी कर्मकांड में तब्दील होता ‘विकास दूबे कांड’!

विकास दूबे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार तो दिया लेकिन वो मरा नहीं। उसकी आत्मा अब राजनीति में प्रवेश की कोशिश कर रही है। और आदमी से ज्यादा खतरनाक होता है आत्मा का राजनीति में प्रवेश कर जाना।

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आर्टिकल 19: लोकतंत्र का मुंडा हुआ सिर और लोकभवन के सामने झुलसती लोकलाज

गुड़िया और सोफिया इसी विकास के झुलसे हुए चेहरे हैं। यह विकास की व्यवस्था में न्याय की हालत की तस्वीर है। गुड़िया ने पुलिस को बताया है कि एक विवाद में गांव के दबंगों ने उसकी मां पर हमला कर दिया। मामला अमेठी के जामो थाने पहुंचा, लेकिन थानेदार से पहले विकासवादी दबंग पहुंच गए।

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गुना: राष्ट्रवाद की छाती पर बज रहा जातिवादी बर्बरता का एक शोकगीत

ये कहानी है इस चमचमाते हुए देश में गांव के एक गरीब की। मरते हुए किसान की। सताए गए दलित की। बिलखते हुए बच्चों की।

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आर्टिकल 19: आकाश में दो उल्का पिंड टकराए और सब धुआँ धुआँ हो गया…

कानपुर में जो उस दिन हुआ और जो इस दिन हुआ, यह ब्रह्मांड में घटित ऐसी ही मामूली घटनाओं की तरह है। व्यवस्था के उल्का पिंडों के टकराव की तरह। इसमें जनता के हिस्से में केवल राख होना आया था। लेकिन उसे ये नहीं पता था कि एक दिन सब धुआं-धुआं हो जाएगा।

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आर्टिकल 19: आचार्य आप कहां हैं? उ प्र में हि शि का थैंक्यू हो गया!

सरकार के हिसाब से देखें तो इसे हिंदी का अभूतपूर्व विकास भी कह सकते हैं। वह ऐसे, कि 2019 में 10वीं-12वीं में हिंदी में फेल होने वाले छात्रों की संख्या 10 लाख थी। तो हिंदी का सीधे 20 फीसद विकास हुआ है। और अगर कहीं 2018 वाला देख लें तब तो लगेगा भारतेंदु युग यही है। निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।

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“मैंने चितरंजन दा को हमेशा अपने अकेलेपन से लड़ते हुए पाया”!

यह सच है कि चितरंजन दा ने जनांदोलनों को लोकतांत्रिकता की नई दिशा दी। यह भी सच है कि उन्होंने मानवाधिकारों को कोर्ट-कचहरी की फाइलों से उठाकर साधारण आदमी की गरिमा का सवाल बनाया। यह भी सच है कि उन्होंने उन गली कूचों मोहल्लों टोलों तक अपनी पहुंच बनाई जहां व्हाटसएप, ट्विटर और फेसबुक आज भी नहीं पहुंचा है। मैं इसमें से किसी भी बात को दोहराना नहीं चाहता। एक मनुष्य अपनी सामाजिक पहचानों से ऊपर भी बहुत कुछ होता है। शायद उन पहचानों से बहुत-बहुत ज्यादा। अपने बहुत भीतर।

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आर्टिकल 19: बाबा तेरी ‘बूटी’ के जलवे हज़ार, एक तीर से तीन शिकार!

बाबा जी की महानता नस्लभेद का शिकार हो गयी है। बुरा हो ब्रिटेन के गोरों का जिन्होंने दो सौ साल तक हम पर राज किया और अब भी इंडिया वालों को सताने से बाज़ नहीं आते। बाबा जी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। कहा, उनकी बूटी दवा नहीं फर्जीवाड़े का अखाड़ा है। दुनिया पीछे पड़ गयी।

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आर्टिकल 19: बहिष्कार चाइना का माल है!

जुमला गढ़ा जा रहा है कि चाइनीज माल का बहिष्कार करना है। किया जा भी सकता है, लेकिन क्या भारत के लोग इसके लिए तैयार हैं? या और परिष्कृत तरीके से पूछा जाए तो क्या तैयार होंगे?

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पत्रकारिता के दारा सिंहों! मदारी को खारिज कर दो, अब भी वक्त है!

दाराओं की फितरत है अपने आकाओं के लिए हत्याएं करना, बच्चों को जलाना, औरतों की हत्याओं का जश्न मनाना। मानवता का माखौल उड़ाना। “दारा” पूरे समाज को दारा बनाने के सपने देखता है लेकिन ये उसका दु:स्वप्न है। हम उन्हें विचारों से परास्त करेंगे।

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