व्यंग्य: जब रामपुर के बोरिंग में फंसा मिला सदन से भागा ईमान…

मनोहर ने जैसे ही अख़बार खोला, प्रथम पृष्ठ पर ही बड़े-बड़े अक्षरों में एक घोटाले के पकड़े जाने का समाचार छपा था! “तुम्हें ये कैसे मालूम कि किसी घोटाले का समाचार छपा होगा आज के अख़बार में?” मनोहर ने जब पूछा तो अंदर से जवाब आया, “देखो भाई! जब-जब देश का ईमान कहीं गिरा है तब-तब ऐसे घोटाले हुए हैं!”

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तीन साल हो गया लेकिन वाल्‍व आज भी बंद है…

प्रिंसिपल वापिस आये और वापिस से पानी की समस्या के बारे में हमसे पूछा! हमने भी वही उत्तर दिया जो वो सोच रहे थे! मैं वापिस लौट रहा था और हैरान था ये सोचकर कि वाल्व खोलने पर वो पानी तो आ जाएगा परन्तु अपनों को ऊपर उठाने हेतु किये गये इस कार्य से प्राचार्य साहब का पानी हमारी आँखों से उतर गया था!

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