सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी पर उनकी कथित सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज मामला सीबीआइ को ट्रांसफर करने की याचिका खारिज कर दी। अर्नब ने उन पर हुई एफआइआर रद्द करने और केस सीबीआइ को ट्रांसफार करने की याचिका दी थी। अदालत ने एफआइआर रद्द करने से भी मना कर दिया।
अदालत ने कहाः
अनुच्छेद 32 के तहत FIR पर कोई सुनवाई नहीं हो सकती। याचिकाकर्ता के पास सक्षम अदालत के समक्ष उपाय अपनाने की स्वतंत्रता है।
वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा था,
यदि आप इस प्राथमिकी को रद्द करना चाहते हैं, बॉम्बे हाईकोर्ट जा सकते हैं। हमने पहले कार्रवाई के एक ही कारण से उत्पन्न एफआईआर की बहुलता के कारण हस्तक्षेप किया था।
पीठ ने मौखिक रूप से यह भी देखा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत सामान्य प्रक्रिया से एक विशेष छूट इस मामले के लिए नहीं बनाई जा सकती है।
24 अप्रैल को इसी पीठ ने पालघर लिंचिंग की घटना के कथित सांप्रदायिकरण के लिए उनके खिलाफ दर्ज कई एफआइआर के संबंध में गोस्वामी को तीन सप्ताह की अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। अदालत ने विभिन्न राज्यों में एफआइआर भी समेकित कर दिया था और उन्हें मुंबई स्थानांतरित कर दिया था।
रजा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव इरफान अबुबकर शेख के कहने पर की गयी एफआइआर को गोस्वामी द्वारा रद्द करने की मांग की गयी थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके चैनल ने बांद्रा में प्रवासियों के बड़े जमावड़े की घटना को सांप्रदायिक रूप दिया।
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