प्रस्तुत व्याख्यान श्रृंखला – जिसे हम ‘डेमोक्रेसी डायलॉग्ज’ नाम से सम्बोधित करना चाह रहे हैं – का मकसद यही है कि अकादमिक तथा एक्टिविस्ट दायरों में जनतंत्र के इर्दगिर्द चर्चा की पहल ली जाए या पहले से जारी बातचीत/सम्वाद में शामिल हुआ जाए।
हमारा मानना है कि जनतंत्र का विचार जिसने पूरी दुनिया में गहरे जड़े जमायी हैं, वह विभिन्न वजहों से पड़ताल का विषय बना है। उसी के साथ हम इस बात के भी गवाह हैं कि इसी जनतांत्रिक रास्ते से दक्षिणपंथी ताकतें और फासीवादी प्रजानायक/डेमोगाग उभरे हैं। फिलवक्त़ हम इस विरोधाभासपूर्ण स्थिति से रूबरू हैं जिसमें जनतंत्र के विस्तार और उसके अधिकाधिक जड़े जमाते जाने की परिणति ऐसी प्रतिक्रियावादी और फासीवादी ताकतों के लिए बढ़ते जनसमर्थन में हुई है।
अगर भारत पर आएं तो यहां के निवासियों के बीच उभरती अधिनायकवादी प्रवृत्तियां वाजिब चिन्ता का विषय रही हैं और इस पर भी गौर किया जा रहा है कि किस तरह इसने भाजपा की कटटर दक्षिणपंथी लहर को ताकत प्रदान की है। यहां जनतंत्र के लिए मजबूत समर्थन के साथ साथ हम बहुसंख्यकवादी-अधिनायकवादी राजनीति के प्रति बढ़ते सम्मोहन को भी देख रहे हैं। दरअसल, हम इसी बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि एक जोरदार चुनावी जनतंत्र यहां हिन्दुत्ववादी प्रतिक्रांति का वाहक बना है।
Democracy Dialogues
(डेमोक्रेसी डायलॉग्ज)
उद्घाटन भाषण
विषय: Trajectory of India’s Democracy and Contemporary Challenges
वक्ता: प्रोफेसर सुहास पलशीकर (मुख्य संपादक, स्टडीज इन इंडियन पॉलिटिक्स और सहनिदेशक: लोकनीति, सेन्टर फार द स्टडी आफ डेवलपिंग सोसायटीज)
रविवार, 12 जुलाई, 5 बजे
फेसबुक पर लाइव: https://www.facebook.com/newsocialistinitiative.nsi/
Zoom Link: https://us02web.zoom.us/j/84756958285?pwd=VUpzVjNqZHhDQ2w3dWtxcnJBM2xlUT09
Meeting ID: 847 5695 8285
Password: Meeting123
आयोजक: न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव