इमरजेंसी: जनतंत्र के साथ आधी रात हादसा हो गया और लोगों को पता ही नहीं चला…

राय ने आयोग को बताया कि काम समाप्त होने के बाद जब वह कमरे से बाहर निकल रहे थे तो उन्हें ओम मेहता (गृह राज्यमंत्री) से यह सुनकर बहुत हैरानी हुई कि अगले दिन न्यायालयों को बंद रखने और सभी अखबार के दफ्तरों को बिजली की सप्लाई काट देने का आदेश जारी किया जा चुका है।

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“मैंने चितरंजन दा को हमेशा अपने अकेलेपन से लड़ते हुए पाया”!

यह सच है कि चितरंजन दा ने जनांदोलनों को लोकतांत्रिकता की नई दिशा दी। यह भी सच है कि उन्होंने मानवाधिकारों को कोर्ट-कचहरी की फाइलों से उठाकर साधारण आदमी की गरिमा का सवाल बनाया। यह भी सच है कि उन्होंने उन गली कूचों मोहल्लों टोलों तक अपनी पहुंच बनाई जहां व्हाटसएप, ट्विटर और फेसबुक आज भी नहीं पहुंचा है। मैं इसमें से किसी भी बात को दोहराना नहीं चाहता। एक मनुष्य अपनी सामाजिक पहचानों से ऊपर भी बहुत कुछ होता है। शायद उन पहचानों से बहुत-बहुत ज्यादा। अपने बहुत भीतर।

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बात बोलेगी: स्मृतियाँ जब हिसाब मांगेंगीं…

एक ज़िंदगी कई घटनाओं का बेतरतीब संकलन होती है। हर रोज़ कुछ घटता है। उस घटने को लोग देखते हैं, महसूस करते हैं, उसके अच्छे-बुरे परिणाम भुगतते हैं। घटनाएँ बीत …

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मोहब्बत, इंसानियत और खुलूस के अधूरे सपने का नाम है कैफ़ी आज़मी

कैफ़ी का मानना था कि शायरी और कविता का इस्तेमाल समाज में बदलाव लाने वाले हथियार के रूप में होना चाहिए

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