पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख

चिली से यह नवउदारवाद शुरू हुआ था। आज वहां शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ चलने वाले आन्दोलन का छात्र नेता राष्ट्रपति चुना गया है। चक्र पूरा हो चुका है। अलेंदे को हटा कर पिनोचे को बैठा कर जो प्रयोग किया गया, पूरी दुनिया में जिसे फैलाया गया वह वहीं अपनी पुरानी जगह फिर पहुँच गया। जिन मुल्कों में 30 साल पहले नवउदारवादी नीतियां और सुधार लागू किये गये उन सभी मुल्कों में सत्र पूरा होने की घंटी बज रही है।

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आरक्षण अर्थात घर में नहीं है खाने को, अम्मा चली…

सरकार क्योंकि विश्व बैंक-अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के ढांचागत समायोजन कार्यक्रम के क्रियान्‍वयन या उनसे कर्ज़ लेने पर लादी गयी शर्तों के अनुपालन में लगी हुई है जिसके तहत सरकारी क्षेत्र के आकार और उसके रोज़गार में कटौती की जाती है इसलिए उसने यह जानते हुए भी कि इस सरकारी क्षेत्र में रोज़गार पाने के अवसर ही नहीं बचे या बचने हैं, सबको खुश करने के लिए नौकरी का निमंत्रण पत्र बांटना शुरू कर दिया। वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग को खुश करने के लिए किया जाने वाला संशोधन इसी तरह का चुनावी प्रयास है।

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क्या बैंकों का निजीकरण एक व्यवहार्य विकल्प है?

एक ऐसे देश में जहां औसत नागरिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ सबसे अधिक आरामदायक और सुलभ बैंकिंग सुविधा का उपभोग कर रहा है, बैंकों का निजीकरण क्यों? ये सवाल आज आम बैंक कर्मचारियों और आम जनता के मन में है।

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तन मन जन: जन-स्वास्थ्य की कब्र पर खड़ी कॉरपोरेट स्वास्थ्य व्यवस्था और कोविड

मुनाफे के लालच में देश में गोबरछत्ते की तरह उगे पांच सितारा अस्पतालों की हकीकत को देश ने इस बार देख लिया। वैश्विक आपदा की इस विषम परिस्थिति में भी आखिरकार सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मियों ने ही अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की सेवा की और हजारों जानें बचायीं।

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कम मानदेय ज्यादा काम, UP रोडवेज़ के 35000 संविदा कर्मियों का खतरे में रोजगार

निजीकरण की प्रक्रिया के संगठित विरोध के लिए निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों ने कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन किया है। मोर्चा स्थायी, संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है और परिवहन निगम को निजी हाथों में सौंपने के सख्त खिलाफ है।

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चेन्नई: पहले बनाया कोरोना योद्धा, फिर छीन ली नौकरी! 700 सफाईकर्मियों ने दी आत्मदाह की चेतावनी

चेन्नई कॉरपोरेशन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन को निजी हाथों में सौंपने के कुछ महीने बाद यह कदम उठाया गया.

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जिस दिन चलेगी निजी ट्रेन, उसी दिन से कर देंगे रेलवे का चक्का जाम: NFIR

डॉ. राघवैया ने कहा कि कोरोना काल में लगातार देश की जीवन रेखा रेलवे को चलायमान रखने के लिए रेल कर्मचारियों ने जी तोड़ मेहनत की, इस दौरान देश में 370 से अधिक रेल कर्मचारी इस संक्रमण से मृत हुए, किंतु सरकार ने असंवेदनशीलता दिखाते हुए कर्मचारियों का भत्ता, टीए, डीए पर रोक लगा दी है, जो काफी दुखदायी है.

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#देश_बिक्रेता: क्‍या निजीकरण के खिलाफ़ गीत गाने पर इस देश में जान जा सकती है?

शुक्रवार आधी रात देश बिक्रेता के नाम से एक हैशटैग अचानक ट्विटर पर वायरल हुआ। यह हैशटैग सपना और विशाल को मिली धमकियों के खिलाफ देश भर के बहुजनों का एक प्रतिरोध था।

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बिजली निजीकरण का विरोध कर रहे कामगारों की गिरफ्तारी की वर्कर्स फ्रंट ने भर्त्सना की

बिजली संशोधन बिल-2020 और बिजली के निजीकरण की जारी प्रक्रिया के विरुद्ध आंदोलन कर रहे बिजली कामगारों और संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों की लखनऊ में हुई गिरफ्तारी की …

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अंधेरे गड्ढे में जिंदा रहने का गर्वबोध है हिंदी, हिंदू और हिंदुस्‍तान

ऑटोमेशन के ज़माने में आपकी ज़रूरत मजूर के रूप में भी खत्म हो गयी है। ऐसे में मनोज बाजपेयी से एक गाना गवा दिया गया कि ‘बम्बई में का बा।’ ये सोच रहे हैं कि इन जबरन बनाये गये मजूरों का शहरों से मोहभंग हो जाये और ऑटोमेशन को लागू करने के लिए कोई जोर जबरदस्ती, मजूरों से संघर्ष की स्थिति, न बन सके।

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