
मई दिवस: विरासत, नयी चुनौतियां और हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी
ऐसे कठिन दौर में मई दिवस हमें रास्ता दिखाता है कि हम चट्टानी एकता कायम करें और अपने वजूद की हिफाज़त के लिए एक ठोस रणनीति बनाएं और संघर्ष करें।
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ऐसे कठिन दौर में मई दिवस हमें रास्ता दिखाता है कि हम चट्टानी एकता कायम करें और अपने वजूद की हिफाज़त के लिए एक ठोस रणनीति बनाएं और संघर्ष करें।
Read Moreहर बार की तरह इस बार भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा अन्य मुसलमानों की तथाकथित हिमायती तंज़ीमें आपको भड़काने, बहकाने और इस्लाम की दुहाई देने के लिए आपके पास आएंगी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके विरोध में अपील भी जारी कर दी है। अब बाक़ी की अपीलें आनी हैं लेकिन आपको इनकी अपीलों को नज़रअंदाज़ कर देना है। किसी के भड़काने और बहकाने में नहीं आना है
Read Moreडकैतों की इन औलादों ने तरह-तरह के पेशे अपना लिए हैं। कुछ ने चिकित्सा के पेशे को चुना है तो कुछ वकील बन बैठे हैं। कुछ ने पैथोलोजिकल लैब खोल ली है तो कुछ ने शिक्षा के धंधे को अपना लिया है। राजनीति में भी इन्हें देखा जा सकता है। गरज़ यह कि जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जहाँ यह नहीं पाए जाते हों या जहाँ इनका दबदबा न हो।
Read Moreअमरीका से दोस्ती बढ़ाकर हम पाकिस्तान के अंजाम को भूल गए हैं। उसने पाकिस्तान का जो हाल किया है वह किसी से छुपा नहीं है। आज पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है। वहां चारों ओर आतंकवाद की वह फसल लहलहा रही है जिसके बीज 70 व 80 के दशक में अमरीका ने ही बोये थे।
Read Moreसरकार क्योंकि विश्व बैंक-अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के ढांचागत समायोजन कार्यक्रम के क्रियान्वयन या उनसे कर्ज़ लेने पर लादी गयी शर्तों के अनुपालन में लगी हुई है जिसके तहत सरकारी क्षेत्र के आकार और उसके रोज़गार में कटौती की जाती है इसलिए उसने यह जानते हुए भी कि इस सरकारी क्षेत्र में रोज़गार पाने के अवसर ही नहीं बचे या बचने हैं, सबको खुश करने के लिए नौकरी का निमंत्रण पत्र बांटना शुरू कर दिया। वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग को खुश करने के लिए किया जाने वाला संशोधन इसी तरह का चुनावी प्रयास है।
Read Moreमोदी सरकार उस अमरीका की नीतियों को भारत में लागू करना चाहती है जो आज़ादी के बाद से ही भारत के विकास में रोड़े अटकाता और पाकिस्तान के माध्यम से भारत को परेशान करता रहा है। स्वास्थ्य की पुरानी सरकारी व्यवस्था में बजट को और बढ़ाने की ज़रूरत थी लेकिन मोदी सरकार सामाजिक सुरक्षा के खर्च में कटौती करके उसे बर्बाद करने में लगी है।
Read Moreमेरी नज़र में यह घटना वैसी ही है जैसी बाबरी मस्जिद ढहने की है और वहां के सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी वैसा ही है जैसा नवम्बर 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के संबंध में सुनाया। तुर्की में हय्या सोफिया को ढहाया नहीं गया लेकिन सांकेतिक रूप से मानें तो यह ढहाने जैसा ही क़दम है।
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