प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने जापान के टोक्यो में एक व्यापारिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘’मेरे खून में व्यापार है, पैसा है’’। आज छह साल बाद उत्तर प्रदेश के शहीदी जिले ग़ाज़ीपुर के एक दलित दम्पत्ति ने उसी तर्ज पर एक गीत गा दिया तो उनकी जान पर बन आयी है। भीम गीत गाने वाले बहुजन कार्यकर्ता सपना बौद्ध और विशाल ग़ाज़ीपुरी पिछले दो हफ्ते से अपनी जान बचाते फिर रहे हैं।
शुक्रवार आधी रात देश बिक्रेता के नाम से एक हैशटैग अचानक ट्विटर पर वायरल हुआ। यह हैशटैग सपना और विशाल को मिली धमकियों के खिलाफ देश भर के बहुजनों का एक प्रतिरोध था। हैशटैग के शब्द वही हैं, जो गीत इस दम्पत्ति ने गाया है। गीत की टेक है ‘’आया देश बिक्रेता’’। ज़ाहिर है, इसमें प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सार्वजनिक इकाइयों और सम्पत्तियों को बेचने की चर्चा है।
इस गीत के जारी होते ही यू्ट्यूब पर यह वायरल हो गया। लाखों बार देखा गया। तुरंत बाद सपना और विशाल के पास धमकी भरे फोन आने लगे। इसके बाद उनका ग़ाज़ीपुर स्थित जय भीम स्टूडियो फूंक दिया गया। दोनों को जला डालने की धमकी दी गयी।
स्थानीय भीम आर्मी कार्यकर्ताओं के सहयोग से किसी तरह नोनहरा थाने में तहरीर दर्ज करवायी गयी। विशाल और सपना अपनी जान बचाने के लिए तब से भागे फिर रहे हैं। पूरी कहानी विशाल से सुनिए।
बहुजन समाज पार्टी से लेकर भीम आर्मी तक और तमाम दलित संगठनों की ओर से इस दम्पत्ति को समर्थन मिला है। समर्थन का ज़ोर इतना है कि आधी रात राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर ‘’देश बिक्रेता’’ ट्रेंड कर गया।
इसके बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब तक धमकी देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
इस हैशटैग का असर यह हुआ कि देश भर से निजीकरण से प्रताडि़त लोग इसमें अपनी अपनी समस्याएं लेकर आधी रात शामिल हो गए। किसी भी नये ट्विटर यूज़र को यह पता लगाना वाकई मुश्किल था कि असल मामला क्या है। मसलन, पंजाब के कोरोना वॉरियर नाम के हैंडिल ने अपनी व्यथा लिखी तो निजीकरण और सरकारी सम्पत्तियों की बिक्री की लिस्ट गिनवायी जाने लगी।
इससे पहले भी निजीकरण के खिलाफ सपना और विशल गीत रच चुके हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें अपने गीत पर जान से मारने की धमकी मिली हो।