राज बहादुर नहीं रहे! यूपी प्रेस क्लब अपने सबसे बड़े जख्म को कैसे भरेगा

वेतनविहीन भुक्तभोगी पत्रकार ख़ुद्दारी की चादर ओढ़कर अपना हर दर्द खुद सहता रहता है। वो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। दर्द और फिक्र दिल और दिमाग में जमा होती रहती है, और एक दिन हृदयाघात जिन्दगी की सारी मुश्किलों को आसान कर देता है।

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सुरक्षा बलों से फर्जी गिरफ्तारियां करवा कर क्या हम उन्हें भ्रष्ट नहीं बना रहे हैं?

सत्तापक्ष के लोग यह कह रहे हैं कि आतंकवादियों का समर्थन करने वाले लोग सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा रहे हैं। सवाल यह है कि अभी जो अभियुक्त हैं उनका आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। आतंकवाद निरोधक दस्ता या संचार माध्यमों द्वारा उनको अभी से आतंकवादी बताना क्या न्यायोचित है?

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‘मीडियावाले पूछते हैं घर कहां से बना है। देख लीजिए- दीवार तक नहीं उठी, सब खुला पड़ा है!’

मसीरुद्दीन की 12 साल की एक बेटी है जो दो साल से शुगर की मरीज़ है। उसकी हालत बीमारी और पिता के उठाए जाने के सदमे से और खराब हो गयी थी। मसीरुद्दीन की तीन बेटियां और एक बेटा है। मसीरुद्दीन बैटरी रिक्शा चलाते हैं।

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लखनऊ पुलिस के महिला-रक्षक AI कैमरों में देखिए जॉर्ज ऑर्वेल के ‘1984’ की छवियां!

जॉर्ज ऑरवेल ने 1984 नाम के उपन्यास में इस तरह की आशंका पर ध्यान दिलाया था कि सरकार देश भर के दफ्तरों, घरों, सड़कों पर कैमरे लगवा देगी ताकि यदि कोई उसके खिलाफ कुछ सोचे या बोले तो उसे तुरंत गिरफ्तार किया जा सके। क्या ‘1984’ जल्द ही हकीकत बनने वाला है?

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बिटवीन द लाइंस: सृजन और विध्वंस के बीच एक कलाकार की याद

अकादमी परिसर के बाहर आयोजित की गयी सभा के अंत में मुख्य अतिथि जस्टिस शास्त्री ने भावुक होकर नीता जी से अपने घरेलू रिश्तों और तमाम यादगार पलों को साझा किया और इसके बाद कला दीर्घा में प्रज्वलित कर चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। खास बात यह कि गैलरी में रजनीगंधा भी था। यह फूल नीता कुमार का पसंदीदा फूल था।

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ज़ैनब के पिता का दो दिन से कोई पता नहीं, AIPF ने कहा उत्‍पीड़न बंद करे सरकार

आज जैनब सिद्दकी ने फोन पर अपने परिवारजनों के साथ हुई पुलिस बर्बरता की सूचना देते हुए एआईपीएफ के नेताओं को बताया कि 5 नवम्बर की दोपहर में दो पुलिसवाले उनकी फोटो लेकर उनके घर पहुंचे थे।

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लखनऊ: CAA के बहाने मारपीट, हिरासत, होर्डिंग-पोस्टर और दमन का नया सिलसिला

रिहाई मंच इस पुलिसिया दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करते हुए जैनब के परिजनों की सुरक्षा और तत्काल रिहाई की मांग करता है। बिना कारण बताए गैर-कानूनी तरीके से किसी को ले जाना गलत है। यह परेशान करने के मकसद से लोगों की आवाज़ का दमन करने के लिए किया जा रहा है।

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