राज बहादुर नहीं रहे! यूपी प्रेस क्लब अपने सबसे बड़े जख्म को कैसे भरेगा
वेतनविहीन भुक्तभोगी पत्रकार ख़ुद्दारी की चादर ओढ़कर अपना हर दर्द खुद सहता रहता है। वो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। दर्द और फिक्र दिल और दिमाग में जमा होती रहती है, और एक दिन हृदयाघात जिन्दगी की सारी मुश्किलों को आसान कर देता है।
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