योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश पुलिस संविधान-लोकतंत्र को ताक पर रखकर दमन की कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत फिर से नागरिकता आंदोलन के नाम पर लोगों के होर्डिंग-पोस्टर लगवा रही है जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट भी यूपी सरकार के इस कदम पर सवाल उठा चुका है।
लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता जैनब सिद्दीकी ने बताया है कि उनके घर पुलिस ने आकर पूछा कि क्या आपकी बेटी CAA और NRC आंदोलन में है? परिवार वालों ने कहा कि वो तो महिला संगठन में काम करती हैं। इसके बाद वो लौट गए और 1 से 1.30 घंटे बाद लौट के आए और लाठी-डंडे से मरना शुरू कर दिया।
जैनब की छोटी-छोटी बहनें हैं, उन्हें सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए जैनब के पापा को 10 से 15 पुलिस वाले पकड़ कर हसनगंज थाने ले गए। बहन और मां को भी थाने में बिठा लिया।
रिहाई मंच इस पुलिसिया दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करते हुए जैनब के परिजनों की सुरक्षा और तत्काल रिहाई की मांग करता है। बिना कारण बताए गैर-कानूनी तरीके से किसी को ले जाना गलत है। यह परेशान करने के मकसद से लोगों की आवाज़ का दमन करने के लिए किया जा रहा है।
दमन के नये चक्र में उत्तर प्रदेश पुलिस ने आठ प्रदर्शनकारियों को भगोड़ा घोषित कर दिया है। और इन प्रदर्शनकारियों की जानकारी देने वाले को पाँच हज़ार का इनाम देने का ऐलान करते हुए एक बार फिर एक पोस्टर जारी कर दिया है। इसके अलावा कुछ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ भी एक और पोस्टर जारी किया गया है।
इससे पहले योगी सरकार ने फैसल खान की गिरफ़्तारी की थी जो सामाजिक सौहार्द फैलाने का काम लंबे समय से कर रहे हैं। इसके अलावा ‘लव जिहाद’ पर मुख्यमंत्री ने एक आपत्तिजनक बयान भी दिया था।
रिहाई मंच ने लव जिहाद के नाम पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा “राम नाम सत्य कर देने” को साम्प्रदायिक आधार पर हिंसा को बढ़ावा देने वाला वक्तव्य कहते हुए साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध फैसल खान की गिरफ्तारी की निंदा की।
रिहाई मंच महासचिव राजीय यादव ने कहा कि बिहार चुनाव प्रचार के दौरान एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि देश किसी फतवे से नहीं बल्कि संविधान से चलेगा लेकिन दूसरी ओर संविधान की मूल भावना के खिलाफ जाते हुए अंतर-धार्मिक प्रेम को लव जिहाद घोषित करते हुए खुले आम “राम नाम सत्य कर देने” की धमकी देते हैं। राजीव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का ग्राफ पहले ही काफी नीचे है, ऐसे में मुख्यमंत्री का इस प्रकार का बयान बेलगाम साम्प्रदायिक तत्वों की हिंसा को और बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बलात्कार और हत्या की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के ठोस प्रयास करने के बजाए इस तरह का बयान भीड़ की हिंसा को बढ़ावा देंगे।
मंच महासचिव ने सर्वधर्म सम्भाव के लिए काम करने वाले फैसल खान की गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज करते हुए कहा कि दिल्ली स्थित गफ्फार मंजिल में भेदभाव के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों को समर्पित ‘सबका घर’ की स्थापना करने वाले फैसल खान को साम्प्रदायिक विद्वेश फैलाने के आरोप में गिरफ्तार करना हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि फैसल खान केवल कुरान ही नहीं बल्कि रामचरित्र मानस की चौपाइयां भी उतनी आसानी से पढ़ते हैं। ‘सबका घर’ में विभिन्न धर्मों को मानने वालों के साथ रहते हैं और होली, दीवाली, ईद, क्रिस्मस सभी त्योहार मनाते हैं। मंदिर परिसर में पुजारी की अनुमति से नमाज़ अदा करने से पहले उन्होंने बृज की 84 कोसी परिक्रमा भी की थी।
राजीव यादव ने कहा कि फैसल खान जैसे व्यक्ति पर साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाने का आरोप या अंतर-धार्मिक विवाह को लव जिहाद का नाम देकर राम नाम सत्य कर देने की धमकी संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ ही नहीं अपितु मानवता विरोधी और विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा है।
द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच
9452800752