
बिजली संशोधन विधेयक 2020: किसानों की तबाही का दस्तावेज
अब विद्युत वितरण क्षेत्र के निजीकरण से किसान, गरीब व आम उपभोक्ताओं को बेतहाशा बिजली मूल्य बृद्धि की मार भी झेलने को मजबूर होना पड़ेगा।
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अब विद्युत वितरण क्षेत्र के निजीकरण से किसान, गरीब व आम उपभोक्ताओं को बेतहाशा बिजली मूल्य बृद्धि की मार भी झेलने को मजबूर होना पड़ेगा।
Read Moreआलेख वाचन के बाद हुई परिचर्चा में वर्तमान सरकार द्वारा प्रस्तुत कृषि संबंधी कानून की समीक्षा की गई और उसके महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करते हुए किसानों से उनकी राय जानने का उपक्रम किया गया।
Read Moreसंविधान सभा में मजदूरों और किसानों के मुद्दों पर बहुत ही कम बात हुई, विशेषकर उन्हें विधान में समाहित करने के मुद्दे पर। 19 अगस्त 1949 को मद्रास का प्रतिनिधित्व कर रहे सामान्य सदस्य एस. नागप्पा ने प्रांतीय विधान परिषदों में श्रमिक वर्गों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की अपील की। इसे मसौदा समिति की तरफ से डॉ. अंबेडकर ने ठुकरा दिया।
Read Moreइस व्यवस्था के जाल में फंसा हुआ किसान इससे बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा है। यदि किसानों को इस व्यवस्था के जाल से बाहर निकलना होगा, तो तय है पूंजीपतियों द्वारा जाति धर्म के बुने हुए जाल को खत्म करते हुए देश की संसद पर अपना हक जमाना होगा। मांगें पेश करने भर से काम नहीं चलेगा क्योंकि जो पूरी व्यवस्था है, वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूंजीपतियों के कब्जे में है।
Read Moreऑटोमेशन के ज़माने में आपकी ज़रूरत मजूर के रूप में भी खत्म हो गयी है। ऐसे में मनोज बाजपेयी से एक गाना गवा दिया गया कि ‘बम्बई में का बा।’ ये सोच रहे हैं कि इन जबरन बनाये गये मजूरों का शहरों से मोहभंग हो जाये और ऑटोमेशन को लागू करने के लिए कोई जोर जबरदस्ती, मजूरों से संघर्ष की स्थिति, न बन सके।
Read More‘रोजगार बने मौलिक अधिकार‘ कैंपेन के तहत मानसून सत्र के पहले दिन 14 सितम्बर को राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार दिवस मनाने का निर्णय छात्र-युवा संगठनों ने लिया है। साथ ही …
Read Moreअनिल गर्ग जल, जंगल और ज़मीन से जुड़े मसलों के प्रामाणिक विशेषज्ञ हैं। वे बैतूल में रहते हैं ओर बरसों से आदिवासियों व किसानों के बीच काम करते आये हैं। उन्होंने बीते सत्तर साल के दौरान किसानों के साथ हुए अन्यायों पर एक प्रामाणिक दस्तावेज़ी किताब तैयार की है।
Read Moreछत्तीसगढ़ में सीटू, किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा के कार्यकर्ता गांवों, मजदूर बस्तियों और खदान-कारखानों में प्रदर्शन आयोजित करेंगे। इस आंदोलन के लिए किसान सभा ने “देश नहीं बिकने देंगे” को अपना थीम नारा बनाया है।
Read Moreआज देश के कोने-कोने से मजदूर, कामगार, मेहनतकश और तमाम तरह से रोजी-रोटी के इंतजाम में शहरों में आए लोगों का कोरोना महामारी जैसी विषम परिस्थितियां पैदा होने पर गाँव भाग कर जानें के लिए मजबूर होना यह दर्शाता है कि इनका संबंध अभी भी निश्चित रूप से खेती-किसानी और किसान से है और इसलिए अब जरूरी हो जाता है कि उस रिश्ते को सही तरीके से समझा जाए।
Read Moreबिना ठोस तैयारी के सरकारें योजना तो शुरू कर देती हैं मगर बाद में जब इसके दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं तो फिर सरकार सख्ती पर उतरती है और किसान बगावत पर।
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