बारपेटा से लखनऊ के बीच पेट की आग में जलता बचपन और भटकती जिंदगी

2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते जातीय भेदभाव के बाद अब तक करीब 90,000 से अधिक लोग बारपेटा से लखनऊ विस्थापित हो चुके हैं, हालांकि यहां वह पूर्वाग्रहों और जातीय संघर्षों से तो बच गए परंतु शहरों में भेदभाव के नए रूप खुल गए हैं।

Read More

बात बोलेगी: चढ़ी हुई नदी के उतरने का इंतज़ार लेकिन उसके बाद क्या?

असम, बिहार से ऐसी तस्वीरें ज़्यादा आ रही हैं। इन दो राज्यों में हालांकि यह वार्षिक कैलेंडर का हिस्सा हैं इसलिए फिर भी कुछ न कुछ मानसिक तैयारी लोगों की होती होगी, लेकिन पिछले कई साल से ऐसी ही तस्वीरें देखते हुए लगता है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद ये लोग शून्य से ज़िंदगी शुरू करते होंगे तभी तो इनका हर बार उतना ही नुकसान होता है जितना उससे पिछले बरस हुआ था!

Read More

ज़मीन में उग आयी है नदी, गांवों में घुस आये हैं जानवर! असम में दोहरी तबाही का मंज़र…

क्यों हर साल वहां के लोगों को डूब कर मरना पड़ता है? क्यों बाढ़ नियंत्रण के लिए सरकारें कोई योजना बना कर हल नहीं खोजतीं? हर साल पता होता है कि तबाही आ रही है लेकिन हर साल सरकारें और प्रशासन शुतुरमुर्ग की तरह ज़मीन में सिर गड़ा लेते हैं?

Read More