गुलाबो सिताबो: सामंतवाद की ढहती हवेली में इंसानी विडंबनाओं से साक्षात्कार

मनोवैज्ञानिक विल्हेम राइख़ ने अपने पर्चे ‘लिसेन लिटिल मैन’ (1945) में लिखा था- ‘लघु मानव, तुम मुझसे पूछते हो कि तुम कब एक अच्छा, व्यवस्थित जीवन जी सकोगे, मेरा उत्तर …

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कई चाँद थे सरे आसमां: हिन्द-इस्लामी तहज़ीब का एक सांस्कृतिक कोलाज

उपन्यास वज़ीर खानम की कहानी है जो दिल्ली की अपने समय की बेहद सुंदर और सुसंस्कृत स्त्री थीं। दाग देहलवी उन्हीं के पुत्र थे। कहानी 18वीं सदी के राजपूताने से …

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