जीवन में संविधान: रोजमर्रा की कहानियों में संवैधानिक मूल्यों को आत्मसात करने की कोशिश

इस किताब में 76 लघु कहानियां हैं। ये महज कहानियां नहीं हैं बल्कि किसी न किसी के साथ हुई सच्ची घटनाएं हैं जिन्‍हें कहानी के माध्यम से किताब में बयां किया गया है। लेखक ने इन सभी घटनाओं को बहुत ही सरल भाषा में कहानी में ढाला है। इन कहानियों के जीवंत पात्र बच्चे हैं, महिलाएं हैं, किशोर/किशोरियां हैं, युवा हैं, बुजुर्ग हैं, दलित हैं, आदिवासी है, गरीब हैं, वंचित तबकों से हैं।

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कितना पूरा हुआ बालिका शिक्षा पर सावित्रीबाई फुले का सपना

सावित्रीबाई फुले का सपना था कि देश की हर बच्ची और महिला शिक्षित हो। इसके लिए परिवार और समाज में यह विश्वास लाना होगा कि बालिका शिक्षा का महत्व क्या है और अगर बच्चियों को मौका दिया जाए तो वे जीवन में आगे बढ़ सकती हैं।

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वर्क फ्रॉम होम के दौर में लैंगिक उत्पीड़न का बदलता स्वरूप

हमें अपने परिवार, समाज के भेदभावपूर्ण ढाँचे को भी बदलना होगा, जहां लड़कों की हर बात को सही और लड़कियों के हर कदम को शंका की नज़र से देखा जाता है

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बच्चों के लिए भारत का सरल-सचित्र संविधान, जो बड़ों के लिए भी उतना ही कारगर है

यह किताब सही मायनों में बच्चों को बहुत सरल भाषा में चित्रों के माध्यम से संविधान के बारे में बताती है और सालों से पूछे जाने वाले अनेकों सवालों के जवाब भी प्रदान करती है. इसमें संविधान का सरलीकृत परिचय है कि आखिर संविधान की जरूरत क्यों है, इसका महत्व क्या है, यह अस्तित्व में कैसे आया, इसमें क्या शामिल है इत्यादि.

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डिजिटल शिक्षा और बढ़ती खाई: EWS कोटे के संदर्भ में

दुनिया में कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है. इसी के चलते भारत में भी 24 मार्च से लॉकडाउन कर दिया गया जिसके चलते सभी स्कूलों को भी बंद …

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