एक मरहूम खिलाड़ी के नाम एक मुल्क का माफ़ीनामा
‘ब्लैक लाइव्ज़ मैटर’ के इन झंझावाती दिनों में महान खिलाड़ी
पीटर नोर्मान (15 जून 1942 – 3 अक्तूबर 2006) की याद
Junputh
‘ब्लैक लाइव्ज़ मैटर’ के इन झंझावाती दिनों में महान खिलाड़ी
पीटर नोर्मान (15 जून 1942 – 3 अक्तूबर 2006) की याद
एक अच्छा-भला सफल सितारा! बहुत कम संघर्ष में जिसने सेलिब्रिटी का स्टेटस पा लिया था, जिसके जीवन से संघर्ष का दौर खत्म हो चुका था। सुशांत सिंह ‘राजपूत’! अपने घर …
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आज विश्व संकट के दौर से गुजर रहा है। इस संकट से उबरने के लिए विभिन्न देशों ने मजबूत कदम उठाया है, अपने लोगों को विश्वास में लेकर ये देश …
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बारह साल की जमलो मकदम के परिवार को हम क्या समझा सकते हैं? क्या विवरण और स्पष्टीकरण दे सकते हैं उसके अंत का? जमलो, एक आदिवासी बालिका, तेलंगाना में मिर्चों …
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गाज़ियाबाद से आजमगढ़ लौटे दलित युवक अंगद की पिछले 6 जून को हुई मौत प्रवासी श्रमिकों की त्रासदी का एक नया अध्याय खोल रही है। ये कहानी आने वाले दिनों …
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उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को जेल गए बीस दिन से ज्यादा हो गए। आज उनकी ज़मानत प्रार्थना पत्र पर उच्च न्यायालय लखनऊ की खण्डपीठ में …
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प्रवासी मजदूरों के लिए जो कोई और सरकार न कर पाई वह मौजूदा झारखंड सरकार ने किया है वीर भारत तलवार (प्रभात खबर, 10-जून-2020) यह एक प्रतिष्ठित विचारक द्वारा झारखंड …
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बनारस के कोइरीपुर में मुसहर समुदाय की भूख के सवाल पर सरकार की खूब छीछालेदर हुई। लॉकडाउन के दौरान अंकरी प्रकरण को लेकर जिस वक्त विपक्ष, सत्तारूढ़ दल को घेरने …
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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैदेखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है भारत की आज़ादी के आंदोलन में ये पंक्तियां क्रांतिकारियों का मशहूर नारा बनी। 1921 में बिस्मिल …
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यह लेख कुछ घटनाओं और संस्मरणों के माध्यम से पिछले दो दशकों के पूरब के बदलते आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को समझने की एक कोशिश है। साथ ही प्रशासन और …
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