‘गांधी, विनोबा, जेपी की विरासत को हर हाल में बचाएंगे’: अगस्त क्रांति दिवस पर बनारस में संकल्प


सर्व सेवा संघ (अखिल भारत सर्वोदय मंडल) वर्धा, सेवाग्राम, महाराष्ट्र के तत्वावधान में पटेल धर्मशाला, वाराणसी में अगस्त क्रांति दिवस पर 9 अगस्त 2023 को मणिपुर हिंसा, गाँधी मूल्यों तथा गाँधीवादी संस्थाओं पर हो रहे हमलों के विरुद्ध आयोजित अगस्त क्रांति सम्मेलन में हमारे मार्गदर्शक व ट्रस्टी वयोवृद्ध आदरणीय तपेश्वर भाई, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी. अरविंद रेड्डी, सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष महादेव विद्रोही, सर्वोदय समाज तथा सर्व सेवा संघ प्रकाशन के पूर्व संयोजक आदित्य पटनायक, सर्व सेवा संघ के महामंत्री डॉ. आनंद किशोर, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आबा कांबले आदि वक्ताओं ने अपने ओजपूर्ण वक्तव्य से भारत ही नहीं, बल्कि विश्वशांति के लिए गाँधीजी के महत्वपूर्ण योगदान का वर्णन किया।

महामंत्री डॉ आनंद किशोर ने सम्मेलन में उपस्थित साथियों का स्वागत किया। विषय प्रवेश कराते हुए प्रबंधक ट्रस्टी महादेव विद्रोही ने अगस्त क्रांति दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस तरह वर्तमान सरकार गांधी, विनोबा, जेपी की विरासत को अवैध तरीके से 70 वर्षों बाद रेलवे की भूमि घोषित करके प्रशासनिक दबंगई से कब्जा करने की कोशिश कर रही है।

मणिपुर की घटना पर सम्मेलन की तरफ से निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया। सर्वोदय समाज व प्रकाशन के पूर्व संयोजक आदित्य पटनायक ने भी अपने विचार रखे और कहा कि एकजुटता में ही ताकत है। हमें देश भर में गांधी विचार और गांधियन संस्थाओं पर हो रहे हमलों का विरोध करना चाहिए।



सेवाग्राम आश्रम के अध्यक्ष आबा काम्बले ने अपने उद्गार में कहा कि मैंने कई बार संगठन में एकता के लिए उपवास किया, पर उन लोगों ने हमारा मजाक उड़ाया और मेरे द्वारा उठाए किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं की।

अपने सम्बोधन में सभी प्रदेश अध्यक्षों ने कहा कि हम गांधी, विनोबा, जेपी की विरासत को हर हाल में बचाएंगे। वक्ताओं ने उपस्थित लोगों से आह्वान किया कि वे वर्तमान संकटपूर्ण हालात का गाँधीवादी तरीके से डटकर सामना करें तथा आपसी प्रेम और सौहार्द को बरकरार रखने में सहायक बनें।

सम्मेलन में सरकार के इशारे पर वाराणसी जिला प्रशासन के नेतृत्व में उत्तर रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ परिसर के वाराणसी परिसर पर अवैध कब्जे की घटना पर रोष व चिंता व्यक्त की गई। सम्मेलन में सामूहिक रूप से संकल्प व्यक्त किया गया कि अपनी इस वैचारिक विरासत को हम वापस लेकर रहेंगे। उत्तर रेलवे और वाराणसी जिला प्रशासन ने विनोबा, डॉ राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री एवं बाबू जगजीवन राम जैसे महापुरुषों को कूटरचित दस्तावेज बनाकर जमीन हड़पने वाला बताया है। हम इसका जोरदार प्रतिकार करेंगे और साधना केंद्र का अपना परिसर वापस लेकर ही मानेंगे।

सम्मेलन में मैनेजिंग ट्रस्टी महादेव विद्रोही, महामंत्री डॉ आंनद किशोर, आबा काम्बले, डॉ मुहम्मद आरिफ, विश्वनाथ आज़ाद, चंद्रभूषण, आरएस त्रिपाठी, अरुण भारतीय, धर्मेंद्र राजपूत, डॉ प्रमोद ताले और रामनाथ ठाकुर ने भाग लिया।आज की बैठक में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात,ओडिशा,हरियाणा तथा आंध्र प्रदेश के प्रतिनिधि शामिल हुए। इनमें पूर्व कुलपति तथा पूर्व सांसद वयोवृद्ध 95 वर्षीय डॉ. रामजी सिंह एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष लक्ष्मीदास ने समर्थन में अपना संदेश भेजा।

महात्मा गांधी के सेवाग्राम आश्रम के अध्यक्ष आबा काम्बले, बिहार के वरिष्ठ सर्वोदय कार्यकर्ता तथा सर्व सेवा संघ के पूर्व ट्रस्टी तपेश्वर भाई, पश्चिम बंगाल सर्वोदय मंडल के नारायण भाई, सर्वोदय समाज तथा सर्व सेवा संघ प्रकाशन के पूर्व संयोजक आदित्य पटनायक, हरियाणा सर्वोदय मंडल के उपाध्यक्ष सतीश मराठा, सर्व सेवा संघ के पूर्व मंत्री विजय भाई, सर्व सेवा संघ राजघाट परिसर के पूर्व संयोजक शिव विजय सिंह, गुजरात के सरल मोरी, राजस्थान सर्वोदय मंडल के राजेंद्र कुंभज, मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष अरुण भारतीय, द किशोर,  सेवाग्राम आश्रम के पूर्व मंत्री आचार्य विनोद स्वरूप, विनोद कुमार, ज्योति कुमारी, मोहम्मद इम्तियाज़, शमा परवीन, सादान, ज़ेबा, डॉ. लेनिन रघुवंशी, श्रुति नागवंशी, आदि प्रमुख हैं। सम्मेलन में विभिन्न सर्वोदय बुकस्टालों के संचालकों ने भी हिस्सा लिया।

संचालन आनंद किशोर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मोहम्मद आरिफ़ ने किया।

डॉ. आनंद किशोर, महामंत्री
डॉ मोहम्मद आरिफ़, कार्यक्रम संयोजक


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *