किसानों के ‘गुप्त एजेंडे’ पर हरियाणा के गृह मंत्री का बयान बेहद आपत्तिजनक: SKM


संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस नोट
197वां दिन, 11 जून 2021

संयुक्त किसान मोर्चा ने विरोध करने वाले किसानों के “गुप्त/छिपे हुए एजेंडे” होने वाले हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के बयान पर कड़ी आपत्ति जतायी है। एसकेएम ने कहा, ‘’मंत्री का भड़काऊ और गैरजिम्मेदाराना रवैया निंदनीय है। किसान आंदोलन ने बीजेपी और आरएसएस और उनके हमदर्दों द्वारा लगाए गए सभी तरह के निराधार आरोपों को झेला है और अडिग रहा है।‘’

संयुक्त किसान मोर्चा ने आज कहा, “अनिल विज और अन्य भाजपाइयों की हताशा बढ़ती जा रही है क्योंकि आंदोलन दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है और इसके साथ ही वे सामान्य शिष्टाचार, मर्यादा और शालीनता को ताक पर रखते जा रहे हैं, जो निश्चित ही अच्छी बात नहीं है”।

मोदी सरकार के मंत्रियों और सलाहकारों ने किसान नेताओं से तीन कृषि कानूनों में कमियों को स्पष्ट करने के लिए कहना गुमराह करने वाला और गलत है। किसान नेताओं ने पहले ही बहुत विस्तार से समझाया है कि कानूनों के मूल उद्देश्य में मूलभूत खामियां हैं, कानूनों में किसानों के हितों की भीषण हानि और कॉर्पोरेट के हितों की रक्षा के प्रावधान है। तथ्य यह है भी कि मोदी सरकार ने राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है जो स्वीकार्य नही है। ग्‍यारह दौर की बातचीत का वीडियो फुटेज इस सभी बातों का सबूत है। कानूनों के वापसी से ही वर्तमान गतिरोध का समाधान हो सकता है, ऐसे में अब उन्हीं निराधार तर्कों को सामने लाना जो सरकार ने साढ़े चार महीने पहले पेश किये थे, अस्वीकार्य है और यह स्पष्ट दिखाता है कि सरकार आज भी अपने अहंकार पर खड़ी है।

लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर जल्द ही 200 दिन अपने शांतिपूर्ण संघर्ष के पूरे करेंगे, यह संभवत: दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा ऐसा आंदोलन है। इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 502 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के लाखों किसान चारों ओर कोरोना महामारी होने के बाद भी ऐसे समय में भी स्वेच्छा से विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं क्योंकि वे यह जानते हैं कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कानून किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक हैं, यह किसानों के अपने अस्तित्व और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ाई है।

बीती रात एक बार फिर बारिश के दौरान प्रदर्शन कर रहे किसान अपने तंबू गिरने और पानी में डूबने से भीग गए, लेकिन वे इस संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे जब तक मोदी सरकार उनकी सभी जायज मांगों को पूरा नहीं कर देती।

किसान लगातार काले झंडे दिखा कर अलग-अलग जगहों पर बीजेपी नेताओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा को कैथल में काले झंडों और नारों का सामना करना पड़ा। महिलाओं और पुरुष किसान दोनों ने बड़ी संख्या में अपना प्रतिरोध व्यक्त करने के लिए भीषण गर्मी का सामना किया। चरखी दादरी में भाजपा की बबीता फोगट को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।

विभिन्न राज्यों से हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। आज उत्तराखंड से तराई किसान संगठन की एक टुकड़ी गाजीपुर बॉर्डर पहुंची। इसी तरह तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और बिहार से एआईकेएमएस के प्रतिनिधिमंडल और समर्थक भी गाजीपुर धरना स्थल पर पहुंचे।


जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चडुनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहर

(संयुक्त किसान मोर्चा)


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *