अडानी के पावर प्लांट सहित अन्य परियोजनाओं से पर्यावरण की रक्षा के लिए गोड्डा में सम्मेलन


गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी ब्लॉक के आमजोड़ा गांव में बुधवार को हुए एक सम्‍मेलन में आदिवासी अस्तित्व और पर्यावरण सुरक्षा का ऐलान किया गया। मरंग बुरु की पूजा से शुरू किए गए दिन भर चले इस सम्मेलन में अडानी गोड्डा पावर प्लांट,  बोआरीजोर ट्रांसमिशन लाइन, साहेबगंज रिजर्वायर आदि परियोजनाओं से प्रभावित करीब 500 लोग शामिल हुए। स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के कई सामाजिक कार्यकर्ता सम्‍मेलन में मौजूद रहे।

परियोजना के अंतर्गत गोड्डा पावर प्लांट को ठंडा रखने के लिए साहेबगंज से गंगा का पानी रिजर्वायर के रास्‍ते लाए जाने की योजना है। उस रिजर्वायर और गंगा नदी से पानी पंप करने की व्यवस्था चलाने के लिए गोड्डा से बोआरीजोर होते हुए एक ट्रांसमिशन लाइन बनायी जानी है।

गोड्डा पावर प्लांट में ऑस्ट्रेलिया से आयात किया हुआ कोयला जलाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा जिसका निर्यात बांग्लादेश किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया की कोयला खदान और ऑस्ट्रेलिया व भारत में बंदरगाह जिसके ज़रिये कोयला आयात किया जाना है, तीनों अडानी कंपनी के ही हैं।

सम्मेलन में बताया गया कि सुंदर जलाशय, हुर्रासी कोल माइनिंग, जितपुर कोल ब्लॉक, सड़क चौड़ीकरण और हवाई अड्डा के लिए जमीन आदिवासी ग्रामीणों के राय लिए बगैर उनसे छीनी जा रही है। वन अधिकार कानून 2006 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए बोआरीजोर में हुर्रासी कोल माइंस क्षेत्र के छह गांव की 527 हेक्टेयर वन भूमि को ग्राम सभा की सहमति के बगैर ईसीएल को दिया गया है, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है।

सम्मेलन में सरकार से पांच मांगें रखी गयीं:

१. भारतीय संविधान में उल्लिखित आदिवासी/मूलवासी अधिकार को अक्षरशः लागू करें।

२. संथाल परगना टेनेंसी एक्ट 1949, पांचवीं अनुसूची के प्रावधान एवं पेसा कानून 1996 अनुसार राज्य सरकार शीघ्र नियमावली तैयार कर ग्राम सभा को शक्ति देकर स्वशासन स्थापित करे।

३. जंगलों को (बचाने) संरक्षण एवं संवर्धन का अधिकार ग्राम सभा को प्रदान किया जाए क्योंकि आदिवासियों ने सदियों से जंगलों (पर्यावरण) को बचाया है।

४. खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति एवं उद्योग नीति को परिभाषित किया जाए।

५. पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को संभालने का मौका प्रदान किया जाए।

सम्मेलन का आयोजन जोगाव संगठन गोड्डा, जन जागृति संघर्ष मोर्चा लीलातारी (बोआरीजोर), भूमि बचाव संघर्ष समिति गोड्डा और उनके सहयोगी संगठन इंसाफ, ग्रोथवॉच, आमरा एक सचेतन प्रयास, झारखंड जनाधिकार महासभा और मांझी परगना संगठन, सुंदरपहाड़ी ने मिलकर किया।


(रिपोर्ट: अबीर दासगुप्ता)


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