हिरोशिमा-नगासाकी त्रासदी की 75वीं बरसी पर AIPSO की वेब-चर्चा


अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन (एप्सो), मध्यप्रदेश राज्य इकाई

6 अगस्त 2020, गुरूवार, दोपहर 2.50 से 5.00

75वें हिरोशिमा दिवस पर वेब-चर्चा

मुख्य वक्ता

अचिन विनायक
विषय – दक्षिण एशिया में गहराता नाभिकीय विनाश का संकट।
(दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष।  परमाणु निशस्त्रीकरण अभियान के सक्रिय कार्यकर्ता,  ट्रांसनेशनल इंस्टीट्यूट, एम्सटर्डम के सदस्य)

सुव्रत राजू
विषय – अमेरिकी साम्राज्यवाद का नया शिकार – ईरान।
(सुव्रत  बेंगलुरू में इंटरनेशनल सेंटर फॉर थ्योरेटिकल साइंसेस में प्रोफेसर हैं। उनके शोध का प्रमुख क्षेत्र स्ट्रिंग थ्योरी और क्वांटम ग्रैविटी और क्वांटम फील्ड थ्योरी हैं। दुनिया के प्रखर युवा वैज्ञानिक के तौर पर उन्हें अनेक सम्मान मिले हैं। वे विज्ञान के मानवता के पक्ष में इस्तेमाल के वैश्विक आंदोलन और कोएलिशन फ़ॉर न्यूक्लियर डिसआर्मामेण्ट के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।

संचालन

विनीत तिवारी
राष्ट्रीय सचिव मंडल सदस्य, एप्सो  

वक्तव्य उपरांत सहभागी भी चर्चा हेतु आमंत्रित।  

मीटिंग गूगल मीट पर आयोजित है। ज्वाइन करने हेतु लिंक निचे दी गई है जिस पर क्लिक कर आप सीधे ज्वाइन कर सकते है। इसमें केवल 100 ही लोगों के जुड़ने का प्रावधान है। 

अगर आपने  गूगल मीट एप पहले से डाउनलोड नहीं कर रखा है तो आपको डाउनलोड हेतु प्रॉम्प्ट किया जाएगा। आप से निवेदन है कि आप एप लिंक क्लिक कर पहले से ही डाउनलोड करके रखें।

https://meet.google.com/rgo-bytk-key

अगर एप पहले से ही है तो निम्न कोड का इस्तेमाल करें।  

rgo-bytk-key

कृपया अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।

संपर्क: अरविंद पोरवाल, राष्ट्रीय सचिव मंडल सदस्य, एप्सो। 9425314405.
तकनीकी सहयोग:  विवेक मेहता- 9893652327


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

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