‘कोचिंग जाने वाले बच्‍चे’ उर्फ बिहार से दिल्‍ली तक बिखरी अनसुनी आवाजें, सपने और संघर्ष

राजधानी एक्सप्रेस वाया उम्मीदपुर हाल्ट   उन लाखों युवाओं की स्मृतियों का दस्तावेज है जो अपने भविष्य के लिए वर्तमान को गिरवी रख चुके हैं। यह उपन्यास हमें बताता है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी सिर्फ एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक संघर्ष भी है।

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बेरोजगारी के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के लिए कई युवा संगठन आए साथ

किसी राजनीतिक दल के पास भी रोजगार के सवाल पर सुस्पष्ट विचार नहीं है। समय – समय पर छात्रों का आंदोलन भी उभरता है। अग्निवीर के विरुद्ध आंदोलन इसका प्रमाण है। स्थानीय स्तर पर भी आंदोलन चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में जितने भी आंदोलन हैं उनको राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित करने की जरूरत को देखते हुए कोआर्डिनेशन टीम का गठन किया गया।

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चुनावीबिहार-6: बिहारी ‘जुवा’ मने ई बा का बा, थोड़ी सी कमाई और गुटखे पर चर्चा

सबसे पढ़ी-लिखी और स्वघोषित स्वयंभू मुख्यमंत्री पुष्पम प्रिया की पार्टी के 50 फीसदी से अधिक नामांकन पहले ही प्रयास में रद्द हो गए, जबकि उनकी पार्टी की तथाकथित प्रवक्ता की धांसू अंग्रेजी वाला वीडियो लोगों को हंसाने के काम आ रहा है।

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यूट्यूब पर आज रिलीज़ हो रही है युवाओं के अवसाद पर केंद्रित डाक्यूमेंट्री ‘मिलेनियल सोसाइटी’

जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, यह फिल्‍म युवाओं के अवसाद पर केंद्रित है। बिना किसी संसाधन के घर बैठे फिल्‍म बनाने वाले तैश का एक कविता संग्रह पंजाबी में आ चुका है और वे लंबे समय से सामाजिक मसलों पर अलग अलग माध्‍यमों से काम कर रहे हैं।

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दक्षिणावर्त: जेपी के चेलों से पुष्पम प्रिया चौधरी तक बिहार की यंग और डार्क कॉमेडी

एक बूढ़ा निजाम को हिलाता है और उसके फल से तीन ज़हरीले फल पैदा कर जाता है। आज जब बिहार अपने सवाल तलाश रहा है, तो उसके पास एक भ्रष्टाचारी बाप के पूत, एक एनजीओवादी महिला और एक देशद्रोह के आरोपित के अलावा कोई युवा विकल्प तक नहीं है।

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