रायपुर धर्म-संसद के आयोजकों में शामिल थे कांग्रेस के नेता! ऐसे कैसे लड़ेंगे हिन्दुत्व से राहुल?

चौंकाने वाली बात है मगर सच है कि राहुल गांधी की प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस पार्टी के समानांतर छत्‍तीसगढ़ में भूपेश बघेल की नाक के नीचे एक ‘संघी’ कांग्रेस भी ऑपरेट कर रही है। राजधानी रायपुर में आयोजित हुई धर्म संसद में इस ‘संघी’ कांग्रेस के कई विधायक और नेता न केवल मौजूद थे, बल्कि मुख्य आयोजक थे।

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UP: जातिगत गोलबंदियों में बंटे पूर्वाञ्चल के मतदाता के पास भाजपा के अलावा क्या कोई विकल्प है?

पूर्वांचल में अतिपिछड़ी और अति दलित जातियों में लोगों के पास कोई खास कृषि योग्य भूमि नहीं है. इसलिए पूर्वांचल की इन बहुसंख्य जातियों के बीच किसान आन्दोलन का यह सवाल ‘जमींदारों का सरकार से संघर्ष’ बनकर बहुत छोटे स्तर पर कैद हो गया है.

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चुनावीबिहार-9: अफ़वाह पर टिकी उम्मीद और ज़मीन पर गायब चुनाव

पहली अफवाह यह है कि भाजपा और नीतीश कुमार में कट्टिस हो चुकी है और दोनों एक-दूसरे के साथ भितरघात कर रहे हैं। दूसरी अफवाह ये है कि तेजस्वी 10 लाख नौकरियां दे रहे हैं, बेरोजगारी मुद्दा है और इसी बात पर तेजस्वी बंपर बहुमत से जीत कर आ रहे हैं।

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चुनावीबिहार-8: मोदी की तीन सभाएं और तेजस्वी की दो गलतियां ‘गेमचेंजर’ हो सकती हैं!

तेजस्वी के साथ अनुभवहीनता और बिना जिम्मेदारी के बड़ी कुर्सी मिलने से जुड़े तमाम दोष समा गए हैं। लालू की तरह उनके पास रघुवंश प्रसाद, अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे दोस्त भी नहीं हैं, ऊपर से पार्टी पर उन्होंने नियंत्रण कायम तो कर लिया है, लेकिन यह कब तक रहेगा यह कहना बहुत मुश्किल है।

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#जनरल_डायर_नीतीश_कुमार और #मुंगेर_नरसंहार के साये में पहला मतदान

भाजपा के लिए टर्फ केवल मुंगेर का ही कठिन नहीं है, आज जिन 16 जिलों में चुनाव हो रहे हैं, वे आरजेडी का मजबूत दुर्ग हैं और 2015 में लालटेन और तीर ने मिलकर कमल को बर्बाद कर दिया था।

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चुनावीबिहार-7: एक ओर कुआँ दूसरी तरफ खाई, बस इतनी सी है बिहार की लड़ाई

सुशील मोदी को सचमुच का कोरोना हुआ है या उनकी सभाओं में उमड़ी ‘अपार भीड़’ का कमाल है कि उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया है, इस पर भाजपा मुख्यालय में जबर्दस्त चुप्पी है।

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चुनावीबिहार-6: बिहारी ‘जुवा’ मने ई बा का बा, थोड़ी सी कमाई और गुटखे पर चर्चा

सबसे पढ़ी-लिखी और स्वघोषित स्वयंभू मुख्यमंत्री पुष्पम प्रिया की पार्टी के 50 फीसदी से अधिक नामांकन पहले ही प्रयास में रद्द हो गए, जबकि उनकी पार्टी की तथाकथित प्रवक्ता की धांसू अंग्रेजी वाला वीडियो लोगों को हंसाने के काम आ रहा है।

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चुनावीबिहार-5: भाजपा के धुरंधरों को नहीं पता कि उनके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक चुकी है!

जिस तरह प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी ने सारे पड़ोसियों से संबंध एक समान स्तर पर बिगाड़े हैं, भाजपा ने मिथिलांचल से लेकर भोजपुर तक अपने कैडर्स को एक जैसा नाराज़ किया है।

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आधे घंटे की प्रेस वार्ता में 14 बार नीतीश कुमार का नाम! ये ‘राष्ट्रऋषि’ का प्रेम है या…?

कहा जाता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका। यदि गठबंधन इतना ही फेविकोल के जोड़ टाइप अटूट था, तो उसे इतनी बार सफाई देने की क्या जरूरत थी?

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चुनावीबिहार-4: कॉमरेड चंदू की बेचैन आत्मा और भाजपा के विश्वात्मा

अंदरखाने की ख़बर यह है कि इस बार सुशासन बाबू को पूरी तरह निपटा देने की योजना बन चुकी है। इसीलिए एक तरफ तो चिराग पासवान को भड़का कर अलग कर दिया गया, दूसरी तरफ वीआइपी के मुकेश सहनी से गठबंधन के मंच पर ही नाटक करवा दिया गया, ताकि अगले दिन के अखबारों में सुर्खियां वही बनें।

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