दो सदी के आदिवासी इतिहास पर शोध करने वाले इस युवा का कैद होना अकादमिक जगत का नुकसान है
हम महज़ उम्मीद कर सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट उसकी जिंदगी में ऐसा अनुकूल समय लेकर आए, उमर सहित उन तमाम युवाओं को रिहा करे जिन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से कैद किया गया है, सिर्फ इसलिए कि वे अपने घरो और परिसरों से बाहर निकले और सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए। इनकी अकादमिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में न्यायपालिका का पक्ष निर्णायक होगा।
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