हर्फ़-ओ-हिकायत: सीता की अनकही व्यथा और शापित अयोध्या का अधूरा प्रायश्चित

यह जानना काफी दिलचस्प होगा कि सीता समूचे रामायण को किस नजरिये से देखती रही होंगी। अयोध्या कांड से लेकर उत्तर कांड तक वह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का साथ एक धर्मपारायण पत्नी की तरह निभाती हैं। सीता भारत के जनमानस में आदर्श महिला की सबसे बड़ी आइकन हैं, लेकिन समूची रामायण में सीता की दृष्टि से कोई भी विवरण नहीं मिलता है।

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कच्छ में हुई सांप्रदायिक हिंसा स्थानीय चुनावों में ध्रुवीकरण की साज़िश: MCC की रिपोर्ट

बीते 17 जनवरी को गुजरात के कच्छ जिले में गांधीधाम तालुका के किड़ाना और मुन्द्रा तालुका के साडाव गांव में राम मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा उगाही के लिए निकाली गयी यात्रा के दौरान हुई हिंसा की माइनोरिटी कोआर्डिनेशन कमिटी (MCC), गुजरात द्वारा एक जांच रिपोर्ट जारी की गयी है.

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गाहे-बगाहे: अपने साये में सिर पाँव से है दो कदम आगे

प्रधानमंत्री जी ने ब्राह्मणवाद की दीवार पर अपने नाम का शिलापट्ट लगवा दिया और इस प्रकार उन्होंने भारतीय जनता को एक संदेश दिया कि ये ऐसे लोग हैं जो सत्ता के सहयोग से जितना भी उपद्रव मचा लें लेकिन जनता चाहे तो अपनी सरकार बनाकर इन्हें पूरी तरह ध्वस्त कर सकती है।

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बाबा लाल दास का प्रेत अयोध्या में आज भी मंडरा रहा है!

संत लाल दास वही शख्स थे जिन्होंने राम मंदिर-बाबरी विवाद के शांतिपूर्ण हल की बात की थी. वो इस मुद्दे के राजनीतिकरण के सख्त खिलाफ थे. जब तक वो जिंदा रहे परिषद, बीजेपी और आरएसएस की दाल अयोध्या में नहीं गल पायी.

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इतवार को AIPF मनाएगा ‘लोकतंत्र बचाओ दिवस’, 15 को अन्य संगठनों के साथ साझा संकल्प पत्र

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट राष्ट्रीय आज़ादी आन्दोलन के आदर्शों के अनुरूप एक धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतान्त्रिक भारत के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दोहराता है और भारतीय गणराज्य में जनता की संप्रुभता को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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बाबरी मस्जिद, राम मंदिर और हिन्दी समाज: आनंद स्‍वरूप वर्मा से लंबी बातचीत

जहां तक बौद्धिक तबके की प्रतिक्रिया का सवाल है, मस्जिद गिराए जाने के 15 दिनों के अंदर ही दिल्ली से 80 कवियों, कथाकारों, रंगकर्मियों और विभिन्न क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक टीम लखनऊ पहुंच गई जहां उसने एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।

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छान घोंट के: रात राम सपने में आए…

यही सब सोचते हुए और राम को याद करते-करते मैं भी पूरे देश की तरह सो गया. तभी अचानक राम-राम कहते हुए राम जी मेरे सपने में आए. बोले, “कैसे हो ‘प्रच्छन बौद्ध’ रघुवंशी? हमें क्यों याद किया?”

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बात बोलेगी: नये युग का करें स्वागत…

बीते तीन दशकों से जिन दो कार्यों के न हो पाने से हिंदुस्तान का बहुसंख्यक समाज खुद को गंभीर रूप से असहाय, निर्बल और हीनताबोध से ग्रसित पा रहा था, आज ऐसा संयोग रचा गया कि दोनों ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न होने जा रहे हैं। कश्मीर के सच्चे अर्थों में विलय (जिसे आपने मुकुट के रौंदे जाने के तौर पर ऊपर पढ़ा) की बरसी और राम का भव्य मंदिर।

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राग दरबारी: कमंडल और मंदिर के बीच दम तोड़ता सामाजिक न्याय

क्या कारण रहा कि एक समय अछूत सी रही भाजपा आज देश में सबसे मजबूत ताकत है? सवाल यह भी है कि जो सामाजिक और राजनीतिक विरासत इतनी मजबूत थी, वह 25 साल के भीतर ही इतनी बुरी तरह क्यों बिखर गयी और हिन्दुत्ववादी ताकतों को क्यों चुनौती नहीं दे पायी?

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अयोध्‍या का गांधी, जिसने 1949 में ही कांग्रेस को हिटलरवाद से आगाह कर दिया था!

उनकी मृत्यु एक लंबी बीमारी के बाद 28 अप्रैल 2010 को लखनऊ के मेयो अस्पताल में हो गई। उनकी मृत्यु का दुख उनके कुछ थोड़े-से मित्रों और लंबे समय तक सहयोगी मीरा बहन ने ही महसूस किया। लखनऊ से बाहर चिनहट में अक्षय ब्रह्मचारी आश्रम है जो आज भी इस अयोध्या के गांधी का कार्य आगे बढ़ाने में लगा हुआ है।

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