उनकी तुरबत पर नहीं है एक भी दीया, जिनके खूँ से जलते हैं ये चिरागे वतन…

सम्भवतः देश को स्वतंत्रता यदि सशस्त्र क्रांति के द्वारा मिली होती तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता, क्योंकि सत्ता उन हाथों में न आई होती, जिनके कारण देश में अनेक भीषण समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। जिन शहीदों के प्रयत्नों व त्याग से हमें स्वतंत्रता मिली, उन्हें उचित सम्मान नहीं मिला। अनेक को स्वतंत्रता के बाद भी गुमनामी का अपमानजनक जीवन जीना पड़ा।

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वसंत राव और रजब अली: चौहत्तर बरस में गुमनाम हो गयी सेवा दल के जिगरी दोस्तों की साझा शहादत

विडम्बना ही है कि स्वाधीनता संग्राम के दो महान क्रांतिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान की दोस्ती एवं शहादत को याद दिलाती इस युवा जोड़ी की स्मृतियों को लेकर कोई खास सरगर्मी शेष मुल्क में नहीं दिख रही है। इसकी वजहें साफ हैं।

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