COP26: गहराते जलवायु संकट के बीच देशों और निगमों का जबानी जमाखर्च व पाखंड

ऐसा लगता है कि ये देश अपने यहां के कॉरपोरेट प्रतिष्‍ठानों के प्रवक्‍ता के रूप में काम कर रहे हैं जो ग्‍लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेंटिग्रेड (प्राक्-औरद्योगिक दौर से) तक सीमित रखने के लक्ष्‍य के प्रति बेपरवाह हैं। स्‍पष्‍ट है कि इन देशों के निगमों ने अंतिम समझौते को कमजोर करने के लिए भारत का इस्‍तेमाल किया है। ये वही निगम हैं जो भारत के सत्‍ताधारी राजनीति दलों को बेनामी चंदा देते हैं।

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COP26: जलवायु के दुश्मन धरती को बचने देंगे?

हाल ही में एक थिंक टैंक “काउंसिल फार इनर्जी, इन्वायरमेंट एण्ड वाटर” (SEEW) ने मोदी सरकार को अपील की कि वह 2050 मे नेट जीरो स्वीकार नहीं करे। इसे 2070 तक टाल दिया जाये। मोदीजी ने इसे स्वीकार कर लिया और ग्लासगो मे घोषणा कर दी कि भारत 2070 में नेट जीरो जारी करेगा।

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इंसानियत के लिए खतरे का लाल निशान है आज जारी UN की जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट

इस रिपोर्ट को आइपीसीसी में शामिल 195 सदस्य देशों की सरकारों ने पिछली 26 जुलाई को शुरू हुए दो हफ्तों के वर्चुअल अप्रूवल सेशन के दौरान शुक्रवार को मंजूरी दी है। वर्किंग ग्रुप 1 की रिपोर्ट आइपीसीसी की छठी असेसमेंट रिपोर्ट (एआर6) की पहली किस्त है।

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IPCC की रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए दस दिन की बैठक तय करेगी जलवायु परिवर्तन का भविष्य

ध्यान रहे कि 1.5 ℃ के लक्ष्य तय करने वाली IPCC की 2018 की रिपोर्ट ने जलवायु पर सार्वजनिक विमर्श को स्थायी रूप से बदल दिया और जिसके बाद से सरकारें और उद्योग पहले से कहीं अधिक जांच के दायरे में आ गए हैं।

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