COP26: गहराते जलवायु संकट के बीच देशों और निगमों का जबानी जमाखर्च व पाखंड
ऐसा लगता है कि ये देश अपने यहां के कॉरपोरेट प्रतिष्ठानों के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं जो ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेंटिग्रेड (प्राक्-औरद्योगिक दौर से) तक सीमित रखने के लक्ष्य के प्रति बेपरवाह हैं। स्पष्ट है कि इन देशों के निगमों ने अंतिम समझौते को कमजोर करने के लिए भारत का इस्तेमाल किया है। ये वही निगम हैं जो भारत के सत्ताधारी राजनीति दलों को बेनामी चंदा देते हैं।
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