आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने का मुद्दा क्या सिर्फ चुनावी भ्रम था?

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने बता दिया है कि आरक्षण को खत्म करने और संविधान को बदलने की मंशा रखकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। चुनाव परिणाम ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘निर्णायक’ दलित-पिछड़े ही हैं। इसलिए दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा व उनके हितों की अनदेखी किसी को भी भारी पड़ सकती है।

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दुर्ग में दरार? हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के मायने

मोदी की नैतिक हार को रेखांकित करने वाला यह चुनाव और बाद की यह स्थिति उनके लिए तथा व्यापक संघ-भाजपा परिवार के लिए कई सबक पेश करती है। अब उन्हें यह तय करना है कि वह आत्ममंथन करेंगे या किसी अन्य के माथे दोषारोपण करके इतिश्री कर लेंगे!

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भारत क्या है? राज्यों का संघ या एक राष्ट्र?

आधुनिक युग में सामान्य रूप से राष्ट्र शब्द इंग्लिश शब्द नेशन का हिंदी रूपांतर माना जाता है। राष्ट्र, राज्य, राष्ट्रीयता, संघ सब अलग-अलग शब्द हैं, उनके अलग-अलग अर्थ हैं और उनकी अलग-अलग व्याख्याएं हैं, यह सभी समानार्थी नहीं हैं। सामान्यतया राष्ट्र और राज्य को एक मान लिया जाता है, जबकि दोनों अलग-अलग हैं।

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भाजपाई राज्यों के लोकल रोजगार कानूनों और अखंड भारत के बीच फंसी संवैधानिकता

जब केंद्र की भाजपा सरकार एक राष्ट्र-एक टैक्स, एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड जैसी नीतियों को लेकर आगे बढ़ रही हो, जम्मू कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन एक विधान के बात की गई हो और वहां की नौकरियों को समस्त भारतीयों के लिए खोला जा रहा हो, तब हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार संविधान से परे जाकर हरियाणा से बाहर की जनता के लिए बेगानी क्यों बन रही है?

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हिन्दी अखबारों में ब्राह्मण-बनिया गठजोड़ का संविधान-विरोधी और किसान-विरोधी चेहरा

आज के संपादकीय, संपादकीय पेज (यह हिन्दी का पहला अखबार है जहां इसके मालिक संजय गुप्ता संपादक की हैसियत से हर रविवार को कॉलम लिखते हैं) और ऑप-एड पेज ‘विमर्श’ पर छपे लेखों को देखें। वहां से जातिवाद की दुर्गंध भभका मारकर बाहर निकल रही है।

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नफ़रत फैलाने वाले विज्ञापन मीडिया में देने के खिलाफ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से अपील

निराशा भरे इस वातावरण में कुछ कॉरपोरेट्स ने अपने उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार से एक नई आशा का संचार किया है। उन्होंने निर्णय किया है कि जो मीडिया चैनल घृणा और आपसी भेद-भाव फैलाते हैं, उन्हें वह अपने विज्ञापन नहीं देंगे। इस पहल और साहस के लिए वह प्रशंसा के पात्र हैं।

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