हरियाणा में टिड्डियों ने खरीफ़ की फसलों को पहुंचाया नुकसान, किसान सभा ने की मुआवजे की मांग

राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के बाद अब हरियाणा में भी टिड्डियों ने दस्तक दी है. राजस्थान का बॉर्डर पार कर हरियाणा के महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर जिले में पहुंचे टिड्डी …

Read More

गांव और शहर के बीच झूलती जिंदगी में देखिए बेनकाब वर्ग विभाजन का अक्स

लॉकडाउन के दौरान शहरों में रोजगार पूरी तरह से ठप हो जाने के बाद मजदूरों को अपना गांव दिखायी पड़ा था जहां से वे शहर की तरफ पलायन करके आये थे ताकि वे अपने और अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम कर सकें. अब, जब हम लॉकडाउन से अनलॉक की तरफ बढ़ रहे हैं तो एक बार फिर वे रोजगार की तलाश में उसी शहर की तरफ निकलने लगे हैं.

Read More

वसंत राव और रजब अली: चौहत्तर बरस में गुमनाम हो गयी सेवा दल के जिगरी दोस्तों की साझा शहादत

विडम्बना ही है कि स्वाधीनता संग्राम के दो महान क्रांतिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान की दोस्ती एवं शहादत को याद दिलाती इस युवा जोड़ी की स्मृतियों को लेकर कोई खास सरगर्मी शेष मुल्क में नहीं दिख रही है। इसकी वजहें साफ हैं।

Read More

भारत में हर रोज पुलिस अभिरक्षा में क्यों होती हैं मौतें?

पुलिस के चरित्र को बदलने के लिए समाज व राज का लोकतांत्रिक होना जरूरी है. यदि समाज चाहता है कि उसे मानवीय, संवेदनशील एवं कानून का सम्मान करने वाली पुलिस मिले तो पुलिस में मूलभूत सुधारों की जरूरत होगी, जिसे कोई भी सरकार या मौजूदा पूंजीवादी दल नहीं करना चाहते है. इसके लिए नई जन राजनीति को खड़ा करना होगा!

Read More

मनु को इतिहास तक सीमित करने का सवाल बनाम मनुस्मृति को ‘सैनिटाइज़’ करने के षडयंत्र

मनु को इतिहास तक सीमित करने का सवाल निश्चित ही व्यापक उत्पीड़ित समुदायों के लिए ही नहीं बल्कि अमन और इन्साफ के हर हिमायती के लिए बेहद जरूरी और मौजूं सवाल लग सकता है, लेकिन जिस तरह यह समाज ‘राजनीतिक बुराइयों से कम और स्वतःदंडित, स्वतःस्वीकृत या स्वतःनिर्मित और टाले जाने योग्य बुराइयों से कहीं अधिक परेशान रहता है उसे देखते हुए इस लक्ष्य की तरफ बढ़ने के लिए हमें कैसे दुर्धर्ष संघर्षों के रास्ते से गुजरना पड़ेगा, इसके लिए आज से तैयारी जरूरी है।

Read More

ऑनलाइन शिक्षा क्‍लासरूम की जगह क्‍यों नहीं ले सकती, अभिभावकों को यह समझना ज़रूरी है

हमें तरह-तरह से ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि क्लासरूम की जगह लर्न फ्रॉम होम एक तात्कालिक कदम है और कोविड के प्रभाव के खत्म होते हीं चीजें वापस अपने पुराने ढर्रे पर लौट आएंगी। इसी सोच के आधार पर जन मानस भी तैयार किया जा रहा है ताकि लोग इसे व्यापकता से अपना लें। सरकार तथा अन्य कई तरह की संस्थाएं इसके पक्ष में क़सीदे काढ़ रही हैं।

Read More

“भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां तानाशाह नहीं चलेगा”: इमरजेंसी की 45वीं बरसी पर रामबहादुर राय

आखिर 45 साल बाद इमरजेंसी पर बात करना क्यों जरूरी है? क्या उस समय इमरजेंसी लगाया जाना जरूरी था? क्या परिस्थितियां इतनी ज्यादा बेकाबू हो चुकी थी कि इमरजेंसी ही एकमात्र रास्ता थी? आखिर क्यों लगाई गई इमरजेंसी? इन सभी प्रश्नों पर रामबहादुर राय ने विस्तार से बात की।

Read More

इंसाफ़, अमन और बंधुत्व का सन्देश फैलाने वालों पर शिकंजा क्यों कसा जा रहा है?

बहुसंख्यकवादी साम्प्रदायिक संगठनों के खिलाफ अपनी मुखरता के कारण वे हमेशा से ही दक्षिणपंथी खेमे के निशाने पर रहे हैं. उनके ख़िलाफ़ लगातार दुष्प्रचार किया जाता रहा है, जिसके तहत उन पर एक तरह से देशहित के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाया जाता रहा है. अब इसमें और तेजी आयी है.

Read More

वेनेज़ुएला का असफल तख्तापलट और चावेज़ का अधूरा सपना

अमेरिका बहुत दिनों से वेनेज़ुएला में तख्तापलट के प्रयास में लगा है, खासकर जबसे राष्ट्रपति चावेज़ चल बसे और सत्ता का भार निकोलस मादुरो पर आया।

Read More

खतरनाक है भावनाओं और संवेदनाओं का आभासी दुनिया में इमोजी बन जाना

आजकल वास्तविक दुनिया के समांनातर एक आभासी दुनिया भी चल रही है और कई-कई बार आभासी दुनिया वास्तविक दुनिया पर हावी होने लगती है। यह दुनिया हमारी वास्तविक दुनिया पर इतना प्रभाव डालने लगती है कि हम इसे कई बार सही मानने लगते हैं। इसके पैमानों से खुद को तौलते हैं और सही-गलत और गुणवत्ता का निर्णय लेने लगते हैं।

Read More