पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को आय के ज्ञात साधनों से अधिक अन्य स्रोतों से धन प्राप्त करने के आरोप में पंजाब पुलिस के सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार किया है। मजीठिया के घर पर बिना सर्च वारंट बिना अरेस्ट वारंट दिखाए जिस तरह की कार्यवाही की गई उसको ले कर पंजाब के विपक्षी दलों ने कड़ी निंदा की है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार पर राजनीतिक द्वेष के तहत विपक्षी आवाज़ों के दमन की कार्यशैली पर विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश में इस तरह की जबरदस्ती की कार्यवाही अनुचित है , ‘भगवंत मान और आम आदमी पार्टी प्रदेश में पुलिसिया शासन’ स्थापित करना चाहती है और डर का माहौल बनानां चाहती है। मजीठिया की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी के अमृतसर से विधायक कुंवर विजयप्रताप ने सवाल खड़े किये हैं और छापेमारी को अनैतिक और परिवारिक गरिमा के विरूद्ध बताया है। इस विरोध के कारण उन्हें पार्टी से पाँच साल के लिए निकाल दिया गया है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मजीठिया पर एक नया केस दायर किया गया है। मजीठिया पर पहले भी एक केस नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS ) के तहत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2021 में दर्ज किया गया था जिसमें कई बार SIT जांच कर चुकी है। ईडी ने भी विक्रम मजीठिया को पहले समन किया था लेकिन अभी तक उस मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। मजीठिया के खिलाफ SIT की जांच में ड्रग्स के मामले में पुख्ता सबूतों का दावा किया गया था लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
पंजाब विजिलेंस विभाग की ये कार्रवाई युद्ध नशे के विरुद्ध (नशा विरोधी अभियान) के तहत पंजाब पुलिस और विजिलेंस के संयुक्त ऑपरेशन का हिस्सा है, ऐसा कहा जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कहा कि जिस तरह की चोट पंजाब में नशा तस्करों पर की जा रही है उनके घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे है इससे पंजाब में नशा खत्म करने के अभियान को मजबूती मिली है। केजरीवाल ने बिक्रम सिंह मजीठिया पर विगत में नशा तस्करी के आरोप लगाये थे जिसे बिक्रम सिंह मजीठिया ने अदालत में चुनौती दी थी। उस केस में अरविन्द केजरीवाल ने अदालत में लिखित माफ़ी मांग कर पीछा छुड़ाया था।
पंजाब की सियसत में इस घटना से एक बड़ा उबाल आ गया है। छापेमारी को राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की लुधियाना वेस्ट की सीट पर उपचुनाव में जीत से भगवंत मान सरकार को कुछ राहत जरूर मिली है लेकिन इसके साथ ही कई तरह के कयास भी लगने शुरू हो गए हैं। चुनावों से पहले चर्चा थी कि संजीव अरोड़ा को विधानसभा भेज कर अरविन्द केजरीवाल उनसे राज्यसभा की सीट खाली करवाना चाहते हैं ताकि खुद के लिए राज्यसभा का रास्ता बना सकें। चुनाव परिणाम से एक दिन पहले मुख्यमंत्री भगवंत ने राज्यपाल से मुलाकात की है । माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के इशारे पर ही पंजाब में मंत्रिमंडल में फेरबदल भी हो सकता है।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की हार के बाद अपनी रणनीति में पंजाब के लिए की बदलाव भी किये हैं। आने वाले 2027 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी अपना जनाधार बनाये रखने की कवायद में जुटी हुई है जबकि प्रदेश में आम आदमी पार्टी की नीतियों से निराश लोगों में एक तरह का रोष व्याप्त है जिसमें किसान वर्ग सबसे बड़ा है जिसके भारी समर्थन से आम आदमी पार्टी सत्ता हासिल कर पायी थी। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी का अकाली दल पर इस तरह का दबाव बनाने से अकाली दल को भाजपा से फिर से गठबंधन करने में सहायक हो सकता है।
2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश में अपने राजनीतिक भविष्य को सकारात्मक दृष्टि से देख रही है। सीमावर्ती प्रदेश जम्मु कश्मीर और पंजाब में अपनी सरकार बनाने की हसरत भाजपा की काफी लम्बे समय से रही है। सरकार की नीतियों और परिणामों के प्रति नारजगी को आमं आदमी पार्टी कितना संभाल पायेगी या विपक्ष के लिये राह बनायेगी यह चुनावों मे तय होगा।