सारी विपत्तियों का आविर्भाव निरक्षरता से हुआ: ज्योतिबा फुले
उनको विश्वास था कि छोटी जातियों के लोग सामाजिक समानता के लिए अवश्य संघर्ष करेंगे। ज्योतिबा की तरह और भी वयस्क लोग थे लेकिन ज्योतिबा के पास जो साहस और संकल्प था वह और किसी के पास नहीं था। 21 वर्ष की आयु में ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र को एक नये ढंग का नेतृत्व दिया।
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