एक मई: दुनिया भर के धन्नासेठ आज भी जिस दिन से डरते हैं!
अमेरिका में कमजोर पडऩे के बावजूद, दुनिया के हर देश के करोड़ों मजदूर मई दिवस को एक ऐसे दिन के तौर पर मनाते हैं जब वे मजदूर वर्ग के रूप में अपनी मांगों को उठाते हैं।
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अमेरिका में कमजोर पडऩे के बावजूद, दुनिया के हर देश के करोड़ों मजदूर मई दिवस को एक ऐसे दिन के तौर पर मनाते हैं जब वे मजदूर वर्ग के रूप में अपनी मांगों को उठाते हैं।
Read Moreहमारा अवचेतन मन हमारे विश्वास पर कार्य करता है, तर्क पर नहीं। इसलिए आप किसी भी बाबा, पाखंडी गुरु या साधक के पास चले जाएं, किसी भी मंदिर, गुरूद्वारे, मज़ार पर चले जाएं, यह निश्चित मान लीजिए आपका इनके पास जाना ही आपके अवचेतन मन को प्रभावित करता है।
Read Moreनेल्सन मंडेला आधुनिक जगत में एक विलक्षण राजनेता रहे हैं। दक्षिणी अफ्रीका गणराज्य के जीवन में उन्होंने जो राजनीतिक भूमिका अदा की, उस तक ही उनका महत्त्व सीमित नहीं है।वह विशेष नैतिक सिद्धांतों को मानते थे। उन्होंने नस्लों और सामाजिक वर्गों के बीच संबंधों में नैतिकता को फिर से उसका स्थान दिलाया।
Read Moreइतिहास की समस्याओं से जूझना मानो उनकी पहली प्रतिज्ञा हो। वे भारतीय इतिहास की हर समस्या का निदान खोजने में जुटे रहे। उन्होंने जब यह कहा कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं, तब इसका विरोध हुआ था। उन्होंने कहा कि आर्य पश्चिम एशिया या किसी दूसरे स्थान से भारत में नहीं आए हैं, बल्कि वे भारत से पश्चिम एशिया की ओर गए हैं। वे लिखते हैं – ‘‘दूसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व बड़े-बड़े जन अभियानों की सहस्त्राब्दी है।‘’
Read Moreआज लेखक अपने पैसों से पुस्तकें छपवा कर स्वप्रचार कर रहे हैं। यह एक दयनीय स्थिति है। इस स्थिति में साहित्य के नाम पर लेखन, सृजन आत्मभिव्यक्ति भर ही है।
Read Moreकहानी की और भी परिभाषाएँ उद्धृत की जा सकती हैं पर किसी भी साहित्यिक विधा को वैज्ञानिक परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता क्योंकि साहित्य में विज्ञान की सुनिश्चितता नहीं होती। इसलिए उसकी जो भी परिभाषा दी जाएगी वह अधूरी होगी।
Read Moreजब बाबूराव बागुल की आत्मकथा सबसे पहले उनकी मातृभाषा मराठी में प्रकाशित हुई थी तो उसने मराठी साहित्य और समाज को झकझोर दिया था। भारतीय समाज में जाति पर आधारित दमन और अपमान की साहसभरी कथा कहने कहने वाली यह पुस्तक अब एक क्लासिक मानी जाती है और दलित साहित्य में मील का पत्थर।
Read Moreजो लोग राजनीति और साहित्य में सुविधा के सहारे जीते हैं वे दुविधा की भाषा बोलते हैं। नागार्जुन की दृष्टि में कोई दुविधा नहीं है। यही कारण है कि खतरनाक सच साफ बोलने का वे खतरा उठाते हैं।
Read Moreमेरठ शहर से शुरू हुई क्रांति गांवों तक पहुंच गई थी। सभी अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े हुए। मेरठ-बागपत जिलों की सीमा पर हिंडन नदी पुल और बागपत में यमुना नदी पुल को क्रांतिकारियों ने तोड़ दिया था। अंग्रेजों से संबंधित जो भी दफ्तर, कोर्ट, आवास व अन्य स्थल थे, वह फूंक डाले थे।
Read Moreटैगोर की विलक्षण प्रतिभा से नाटक और नृत्य नाटिकाएं भी अछूती नहीं रहीं। वह बंगला में वास्तविक लघुकथाएं लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। अपनी इन लघुकथाओं में उन्होंने पहली बार रोजमर्रा की भाषा का इस्तेमाल किया और इस तरह साहित्य की इस विधा में औपचारिक साधु भाषा का प्रभाव कम हुआ।
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