अवमानना के केस में प्रशांत भूषण दोषी करार, 20 अगस्त को सुनाई जाएगी सज़ा


वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में दोषी ठहराया है। सज़ा पर फैसला 20 अगस्त को सुनाया जाएगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के बारे में प्रशांत भूषण के दो ट्वीट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भूषण के खिलाफ अवमानना की सुवाई शुरू की थी। शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उन्हें अवमानना का दोषी ठहरा दिया गया।

जस्टिस बी आर गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट की “गंभीर अवमानना के दोषी हैं”।

जस्टिस अरुण मिश्र, बी आर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने इस मामले में सज़ा सुनने की तारीख 20 अगस्त तय की है।

इसे भी पढ़ें:

प्रशांत भूषण पर अवमानना के केस के खिलाफ जजों, वकीलों, बौद्धिकों, पत्रकारों का साझा बयान

भारत में आपराधिक अवमानना की प्रासंगिकता: संदर्भ प्रशांत भूषण

“चीफ जस्टिस का मतलब सुप्रीम कोर्ट नहीं होता”: प्रशांत भूषण का ऐतिहासिक और दस्‍तावेज़ी जवाब

प्रशांत भूषण पर 11 साल पुराने अवमानना मामले में सुनवाई, दुनिया भर से समर्थन में आयी आवाज़ें

राग दरबारी: कितनी छोटी होगी लोकतंत्र में अवमानना की लकीर?


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *