नागरिक स्‍वतंत्रता पर लॉकडाउन: महाराष्‍ट्र की जेलों के बंदियों पर PUCL की विस्‍तृत रिपोर्ट


कोरोना के चलते लगाये गये राष्‍ट्रव्‍यापी लॉकडाउन ने नागरिक स्‍वतंत्रता और मानवाधिकारों पर बीते पांच महीनों के दौरान बहुत चोट की है। अधिकारों पर लगायी गयी कुछ पाबंदियां महामारी की प्रकृति के चलते भले अपरिहार्य रही हों लेकिन बड़ी संख्‍या में मानवाधिकारों का जो उल्‍लंघन किया गया उनसे बचा जा सकता था।

इनका असर अर्थव्‍यवस्‍था से लेकर शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, मीडिया, कैदियों, रोजगारों, प्रवासी मजदूरों, महिलाओं, घरेलू कामगारों, यौन‍कर्मियों से लेकर न्‍याय और अन्‍य क्षेत्रों तक हुआ है। इसके अलावा, सरकारों ने इस लॉकडाउन की आड़ में जनता के विरुद्ध जनतंत्र विरोधी नियम और कानून लादे हैं।

इसी संदर्भ में पीपुल्‍स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़़ (पीयूसीएल) महाराष्‍ट्र ने लॉकडाउन का प्रभाव आंकने के लिए विभिन्‍न क्षेत्रों पर रिपोर्ट निकालने का निर्णय किया। इस श्रृंखला में पहली रिपोर्ट महाराष्‍ट्र की जेलों में बंद कैदियों के हालात पर केंद्रित है।

यह रिपोर्ट मिहिर देसाई ने पीयूसीएल महाराष्‍ट्र के कई सदस्‍यों के सहयोग से लिखी है।

श्रृंखला की इस पहली रिपोर्ट से पहले पीयूसीएल ने बॉम्‍बे हाइकोर्ट में महाराष्‍ट्र के कैदियों के हालात को लेकर एक याचिका भी दायर की थी। इस संदर्भ में राज्‍य सरकार द्वारा दायर स्‍टेटस रिपोर्ट को इस रिपोर्ट के अनुलग्‍नक के रूप में इस्‍तेमाल किया गया है। इसीलिए इनमें से कुछ अनुलग्‍नक मराठी में हैं।

पूरी रिपोर्ट नीचे पढ़ी जा सकती है।     

2020-PUCL-Maharashtra-Covid-CL-1-Imprisoned-and-Unsafe-Prisoners-Pandemic-02Sep2020


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