आज दो अहम फैसले गुजरात और मध्यप्रदेश हाइकोर्ट से आए। गुजरात हाइकोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार और इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के पूर्व सम्पादक परंजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ कच्छ की एक अदालत से जारी गैर-ज़मानती वॉरंट को निलंबित कर दिया। वहीं मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय ने कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी के मामले में ज़मानत याचिका खारिज कर दी।
गुजरात हाइकोर्ट ने अपने आज के फैसले (एससीआरए संख्या 1125/2021) में मुंद्रा की एक अदालत से जारी गैर-ज़मानती वॉरंट को निलंबित करते हुए दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया है। यह मुकदमा अडानी पावर लिमिटेड ने परंजय के ऊपर एक लेख के सम्बंध में किया था। वॉरंट उन्हें अदालत में सुनवाई की तारीख पर हाजिर न होने के लिए पिछले दिनों भेजा गया था।
हाइकोर्ट ने गुहा को निर्देश दिया है कि वे अगली तारीख पर मुंद्रा की अदालत में पेश होंगे और एक अंडरटेकिंग लिखित में देंगे कि जब कभी अदालत उन्हें बुलाती है वे हाजिर होंगे। यह जानकारी परंजय के वकील आनंद याग्निक ने दी है। सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी को है।
इंदौर में साल के पहले दिन स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी सहित कुल 6 लोगों को हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। संस्था हिंदरक्षक संगठन द्वारा तुकोगंज पुलिस को पेश किए गए सबूतों के आधार पर कोर्ट ने कॉमेडियन सहित अन्य लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था, जिसके बाद आरोपी और नलिन ने जिला कोर्ट के बाद हाइकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
मुनव्वर फारुकी को फिलहाल जेल में रहना होगा। गुरुवार को हाइकोर्ट ने उनकी ज़मानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए उसे खारिज कर दिया। फारुखी की ज़मानत अर्जी पर 25 जनवरी को बहस हुई थी, जिसके बाद हाइकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। फारुकी 27 दिनों से जेल में बंद हैं। देशभर के कई शहरों में उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने सहित कई धाराओं में प्रकरण दर्ज हैं।
हाइकोर्ट में मुनव्वर की तरफ से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा पैरवी कर रहे हैं। हाइकोर्ट से ज़मानत खारिज होने के बाद मुनव्वर और नलिन के पास अब सुप्रीम कोर्ट के सिवाय कोई और रास्ता नहीं बचा है।