NHRC ने बिकरू कांड पर UP के DGP से मंगायी 2 सितम्‍बर तक रिपोर्ट, महिला आयोग भी हरकत में


कानपुर के बिकरू गाँव में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में नामजद विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की 8 जुलाई को हमीरपुर में मुठभेड़ में हुई मौत के बाद अमर की नवविवाहिता खुशी दुबे को बिना पुख्ता सबूतों के जेल भेजने के मामले में यूपी पुलिस की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ की आरटीआइ एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने खुशी दुबे को जेल भेजने के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत की थी. महिला आयोग ने यूपी के पुलिस महानिदेशक हितेश चन्द्र अवस्थी के खिलाफ भेजी गयी शिकायत को बीती 14 जुलाई को दर्ज कर लिया है. 

इसके अलावा उर्वशी शर्मा द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष को बीती 10 जुलाई को  भेजी  गयी शिकायत को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने बीती 12 जुलाई को उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को भेजकर आने वाले सितम्बर की 2 तारीख तक रिपोर्ट तलब की है और मामले को आने वाले सितम्बर की 18 तारीख को अंतिम निपटान के लिए सूचीबद्ध किया है.

उर्वशी द्वारा जारी विज्ञप्‍त‍ि के मुताबिक आयोग ने अपनी रजिस्ट्री को आदेशित किया है कि वह शिकायत की प्रति उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को भेजकर 6 हफ़्तों में रिपोर्ट तलब करे. आयोग के आदेश के अनुसार यदि तय समयसीमा में आयोग को पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट नहीं मिलती है तो आयोग मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को आयोग के सम्मुख निजी उपस्थिति दर्ज कराने की अनिवार्य प्रतिरोधी कार्यवाही करने को बाध्य हो जाएगा.



About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *