MP: महिला किसानों पर केंद्रित 12 सूत्रीय माँगपत्र जिला कलेक्ट्रेट पर सौंपेगी किसान संघर्ष समिति


किसान संघर्ष समिति
महिला किसान दिवस
18, जनवरी 2021


प्रिय महिला किसान साथियों,
जिन्दाबाद!

आप जानते ही हैं कि देश के 500 किसान संगठनों एवं करोड़ों किसानों के द्वारा गत 54 दिनों से तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने तथा सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना मूल्य पर (सी2 +50 प्रतिशत) के समर्थन मूल्य पर खरीदी की कानूनी गारन्टी देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आन्दोलन किया जा रहा है। आन्दोलन के दौरान अब तक 125 किसान शहीद हो चुके है, लेकिन सरकार ने 9 बार बातचीत होने के बावजूद किसानों की मांगों को नहीं माना है। किसान संगठनों ने 18 जनवरी को महिला किसान दिवस, 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्मदिवस मनाने तथा 26 जनवरी को (किसान परेड ट्रेक्टर, मोटरसाइकिल या पैदल) परेड निकालने की घोषणा की है। आपसे अनुरोध है कि उक्त कार्यक्रमों में शामिल हों।

भारत कृषि प्रधान देश है और 75 प्रतिशत खेती का काम महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। महिला किसान सबसे पहले तो अपने घर पर जानवरों के लिए चारा पानी की व्यवस्था कर, जहाँ जानवर रखा जाता है, उस कोठे की सफाई करती है, घर की सफाई, पीने का पानी, बच्चों को स्कूल पहुँचाने, घर के बुजुर्ग की देखभाल करने, भोजन की व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद अपने खेत में काम करने जाती है। खेती का काम पूरा करने के पश्चात्, पशुओं के लिए चारे का गट्ठा सिर पर रख कर लाने के बाद पशु को चारा डालना दूध निकालने के बाद, शाम को घर की सफाई, बुजुर्गों एवं बच्चों की देखभाल के साथ साथ भोजन बनाती और खिलाती है। इस तरह महिला किसान पुरूष के साथ खेती का काम जितने घण्टे करती है उससे ज्यादा घण्टे घर के काम में लगाती है लेकिन महिला किसानों के काम का उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता न ही उन्हें परिवार, समाज और देश महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान करने वाली इकाई के तौर पर मानता है।

सरकार उन्हें न तो किसान के तौर पर अलग इकाई मानती है न ही राज्य सरकारें। आम तौर पर उनके लिए कोई अलग से योजनाएं बनाती हैं। किसानों के लिए जो भी योजनाएं बनाई जाती है वे महिला किसानों तक नही पहुँच पाती हैं। न ही उन योजनाओं का लाभ स्वतंत्र रूप से महिला किसानों को नही मिल पाता है। इस स्थिति को बदलने के जरूरत है, इस कारण से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति-संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित महिला किसान दिवस 18 जनवरी 2021 आयोजित किया जा रहा है।

यह जानना भी जरूरी है कि किसान विरोधी कानूनों का सर्वाधिक विपरीत असर महिला किसानों पर पड़ेगा। किसान आंदोलन के माध्यम से यदि सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीदी की कानूनी गारन्टी मिल जाती है तो किसानों की आय बढ़ने से परिवार को अधिक पौष्टिक भोजन मिल सकेगा। जिसे देश की 60 प्रतिशत से अधिक कुपोषित एवं एनिमिक (खून की कमी) महिलाओं की सेहत सुधरेगी, परिवार स्वस्थ एवं समृद्ध होगा। इसलिए जरूरी है कि आप आंदोलन का समर्थन करें।


हमारी मांगें:

  1. तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किये जाये।
  2. सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना मूल्य पर (सी2 +50 प्रतिशत )के समर्थन मूल्य पर खरीदी की कानूनी गारन्टी दी जावे।
  3. 60 वर्ष से अधिक सभी महिला किसानों को 10,000/- रूपये प्रतिमाह पेंशन उपलब्ध कराई जाये।
  4. कृषि उपकरणों का निर्माण महिला किसानों के शारीरिक क्षमता के अनुरूप किया जाये तथा उन्हें सभी कृषि उपकरण लागत मूल्य पर उपलब्ध कराये जायें।
  5. महिला किसानों को बीज, खाद, और कीटनाशक आधे दाम पर उपलब्ध कराया जाये, तथा महिला किसानों द्वारा उत्पादित फसल सब्जी, फल और दूध की खरीद समर्थन मूल्य पर उनके घर-खेत से सुनिश्चित की जावे।
  6. जब तक यह व्यवस्था नही होती तब तक महिला किसानों को सभी कृषि उत्पाद बाजार तक लाने की निशुल्क वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाये।
  7. भूमिहीन महिला किसानों को कम से कम 1 हेक्टेयर शासकीय भूमि कृषि कार्य हेतु आवंटित की जाये।
  8. मनरेगा के कार्यो में कृषि कार्यो को जोड़ा जाये। महिला किसानों द्वारा अपने खेत में अपने परिवार की भूमि पर या किसी भी किसान के खेत में मजदूरी करने पर भूरा भुगतान मनरेगा की दर पर सरकार द्वारा किया जावे।
  9. सभी महिला किसानों को 5-5 गाय -भैस अथवा 10 बकरी निशुल्क उपलब्ध कराई जाएं।
  10. ग्राम स्तर पर महिला किसानों की सहकारी समितियाँ बनाकर शासन द्वारा हर समिति के लिये 5 लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराई जाये ,जिससे वे कृषि उत्पादों का प्रोसेसिंग कर बाजार में बिक्री कर सकें।
  11. महिला किसानों को दीर्घ कालीन ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जाये।
  12. जिन परिवारों में किसानों ने आत्महत्याएं की है, उन परिवारों की महिलाओं को 50 लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराई जाये क्योंकि किसान द्वारा की गई आत्महत्या संस्थागत हत्या है, जिसके लिए राष्ट्र-राज्य (सरकारें) दोषी है।

उक्त मांगों के लेकर किसान संघर्ष समिति द्वारा 18 जनवरी को 12 बजे जिला कलेक्टरेट में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। आपसे अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में महिला किसान दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हों।

निवेदक: एड. आराधना भार्गव
प्रदेश उपाध्यक्ष, किसान संघर्ष समिति



About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *