समरकंद में प्रधानमंत्री का सम्बोधन दार्शनिक है या महत्त्वाकांक्षी?
समरकंद सम्मेलन के दौरान भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय संवाद की आशा बहुत से प्रेक्षकों ने लगाई थी, किंतु स्वयं प्रधानमंत्री इनके प्रति अनिच्छुक नजर आए। चीन से सीमा विवाद और कश्मीर के मसले पर मोदी को वही भाषा बोलनी पड़ती है जो पुतिन यूक्रेन के विषय में बोल रहे हैं।
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