हर्फ़-ओ-हिकायत: ‘भंडारी’ पत्रकारों की मूर्खताओं का इतिहास पहले ही लिखा जा चुका है!
हर्फ-ओ-हिकायत में चूंकि हम वर्तमान को इतिहास के आईने में देखने-समझने की कोशिश करते हैं इसलिए प्रदीप भंडारी मार्का पत्रकारिता जिनको भी अच्छी या बुरी लगती है उन सबको ये जानना चाहिए कि इस पेशे में कितनी नैतिकता है और कितना पाखंड।
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