पहली पुण्यतिथि: ‘झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी’ का लोकार्पण

विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन, झारखंड इकाई द्वारा आयोजित स्मृति सभा में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध उपन्यासकार, बुद्धिजीवी एवं ट्राइबल रिसर्च सेण्टर के डायरेक्टर डॉ. रणेन्द्र की मौजूदगी में “विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन” के संस्थापक सदस्य स्टैन स्वामी पर आधारित “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” पुस्तक का लोकार्पण हुआ।

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न्याय की अवधारणा, मानवाधिकार और विलंबित न्याय: संदर्भ BK-16

अदालती फैसलों में पांच-छह साल लगना तो सामान्य-सी बात है, पर यदि बीस-तीस साल में भी निपटारा न हो तो आम लोगों के लिए यह किसी नारकीय त्रासदी से कम नहीं है। वैसे तो न्याय का मौलिक सिद्धांत यह है कि ‘न्याय में विलंब होने का मतलब न्याय को नकारना है’।

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श्रद्धांजलि: आज आदिवासियों के हक में उठने वाली एक आवाज़ मौन हो गयी!

चौरासी वर्षीय फादर स्टेन स्वामी जीवन भर दलित आदिवासियों के लिए कार्यरत रहे। जेल जाने से पूर्व वे लगातार सभी सामाजिक मुद्दों पर सरकार के सामने हमेशा खड़े हुए। हमेशा गांधी के मूल्यों को लेकर अहिंसक रास्ते को सही मानते हुए वे काम करते रहे।

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