पहली पुण्यतिथि: ‘झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी’ का लोकार्पण


झारखण्ड के चहेते मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर स्टैन स्वामी की शहादत का एक वर्ष पूरा होने पर उनकी पहली पुण्यतिथि के अवसर पर समस्त झारखण्ड एवं भारत के संघर्षशील मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी रांची में एकजुट हुए। विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन, झारखंड इकाई द्वारा आयोजित स्मृति सभा में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध उपन्यासकार, बुद्धिजीवी एवं ट्राइबल रिसर्च सेण्टर के डायरेक्टर डॉ. रणेन्द्र की मौजूदगी में “विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन” के संस्थापक सदस्य स्टैन स्वामी पर आधारित “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” पुस्तक का लोकार्पण हुआ।

ट्राइबल एडवाइजरी समिति के पूर्व सदस्य रतन तिर्की, हॉफमन लॉ के डायरेक्टर अधिवक्ता महेंद्र तिग्गा, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन (तेलंगाना) के बी.एस. राजू, बगइचा के डायरेक्टर फादर टोनी, डॉ. प्रभा लकड़ा, ए.आई.पी.एफ के नदीम खान, स्वतंत्र पत्रकार रूपेश सिंह, झारखण्ड जनाधिकार महासभा के सिराज दत्ता, एलीना होरो एवं अलोका कुजूर भी स्मृति सभा एवं पुस्तक लोकार्पण में शामिल हुए।

एक मिनट के मौन और शहीद साथी के माल्यार्पण के बाद सभा की शुरुआत विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के साथी अरुण ज्योति के द्वारा की गयी। अरुण ज्योति ने फादर स्टैन स्वामी पर आधारित पुस्तक “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” के विषय-वस्तु से सबको अवगत करवाया। पुस्तक दो भागों में फादर स्टैन के मित्रों और सहयोगियों द्वारा लिखे आलेख और खुद फादर द्वारा लिखे गए लेखों का हिंदी संकलन है। सभा में सीडीआरओ (कोऑर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गेनाईजेशन) द्वारा प्रकाशित बुकलेट “फादर स्टैन स्वामी की शहादत” का भी विमोचन किया गया।

स्मृति सभा के मुख्य अतिथि डॉ. रणेन्द्र ने फादर स्टैन स्वामी की मार्क्सवादी चेतना से लोगों को अवगत करवाया और यह भी बताया की आज के दौर में अस्मिता से जुड़ी राजनीति से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है मार्क्स के राजनीतिक चिंतन को आधार बना के जन आंदोलन को आगे बढ़ाना। फ़ादर स्टैन की करीबी सहयोगी डॉ. प्रभा लकड़ा ने फादर के चिंतन को कार्यशैली में बदलने की बात कही। झारखण्ड जनाधिकार महासभा की आलोका कुजूर ने फादर स्टैन के ऊपर हुए राजनीतिक दमन को झारखण्ड में व्याप्त कॉर्पोरेट द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की लूट से जोड़ कर दिखाया।

रतन तिर्की, बी.एस. राजू तथा अन्य वक्ताओं ने जाहिर किया कि फ़ादर स्टैन की संस्थागत हत्या से भारत के लोकतंत्र, संविधान और कानून पर एक बहुत बड़ा प्रश्‍नचिह्न लग चुका है और हम आज भी न्याय के इंतज़ार में हैं। स्वतंत्र पत्रकार रूपेश सिंह ने झारखण्ड की राज्य सरकार पर सवाल किए जो आदिवासी हितों की रक्षा के वादे के साथ सत्ता में आयी और आज ढाई साल पूरे होने पर भी समस्याएं ज्‍यों की त्यों बनी हुई हैं।

झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक बच्चा सिंह ने बताया कि किस तरह फादर स्टैन किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्षरत रहे। हॉफमन लॉ के डायरेक्टर अधिवक्ता महेंद्र तिग्गा ने समस्त झारखंडियों की ओर से फादर स्टैन को श्रद्धांजलि दी।

किसानों, मजदूरों और मानवाधिकारों से जुड़े कई संगठनों के साथी, जैसे तेनुघाट विस्थापित बेरोजगार संघर्ष समिति के दिनेश, भारतीय आदिम जनजाति परिषद् के उमाशंकर बैगा ब्यास, भारतीय भुइयां परिषद् के नरेश भुइयां, मजदूर संगठन समिति के रघुबर सिंह, झारखण्ड जन अधिकार महासभा के एलीना होरो और ए.आई.पी.एफ के नदीम ने सभा को सम्बोधित किया।

सभा का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के दामोदर तुरी ने किया और आयोजन में रिषित, निषाद, विश्वनाथ और प्रताप ने भूमिका निभाई। सभा में इलिका प्रिय और विश्वनाथ ने क्रान्तिकारी गीतों के साथ सबका उत्साह बढ़ाया।


विस्थापन विरोधी जन आंदोलन (झारखण्ड इकाई) द्वारा जारी


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