नरम हिन्दुत्व या ‘सेकुलर’ दलों की लड्डू पॉलिटिक्स?

तिरुपति मंदिर में तैयार हो रहे लड्डुओं में मिलावट पर गुजरात की प्रयोगशाला की जुलाई की एक रिपोर्ट के चुनिंदा अंश हरियाणा आदि राज्यों में हो रहे चुनावों के ऐन पहले सार्वजनिक करने की बेचैनी इस बात की तरफ साफ इशारा कर रही थी कि मामला इतना आसान नहीं है

Read More

छत्तीसगढ़: ‘छोटे मोदी’ का नरम हिन्दुत्व और भोंपू मीडिया असली के सामने हार गया है!

पांच साल पहले भाजपा को ठुकरा कर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया था कि वह भाजपा की सांप्रदायिक-कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों का विकल्प पेश करे, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ‘नरम हिंदुत्व’ की राह पर चलने और आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर स्वामित्व छीनने की ही राह अपनाई।

Read More

सरकारी हिंदुत्व बनाम हिंदू धर्म: धर्म संसद के संदर्भ में कुछ विचारणीय प्रश्न

यदि विपक्षी पार्टियां भाजपा के अनुकरण में गढ़े गए हिंदुत्व के किसी संस्करण की मरीचिका के पीछे भागना बंद कर अपने मूलाधार सेकुलरवाद पर अडिग रहतीं तो क्या उनका प्रदर्शन कुछ अलग रहता- इस प्रश्न का उत्तर भी ढूंढा जाना चाहिए।

Read More

हजारों करोड़ के कर्ज़ पर टिका शिवराज का ‘गरम’ हिन्दुत्व!

सूबे की माली हालत तो पहले से ही खराब थी, कोरोना और जीएसटी में कमी के कारण सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है. हालत यह है कि इस साल मार्च में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से पिछले 8 महीने के दौरान ही शिवराज सरकार अभी तक कुल दस बार में करीब 11500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है.

Read More

राग दरबारी: नरसिंह राव में पटेल का अक्स तलाशती भाजपा

आखिर क्या कारण है कि जिसे कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री बनाया, उसे आज के दिन सबसे ज्यादा प्यार कांग्रेस से नहीं बल्कि बीजेपी से मिल रहा है? बीजेपी के बारे में जो बात समान्यतया कही जाती है, वह यह कि बीजेपी इकलौती ऐसी पार्टी है जिसके पास एक भी वैसा इतिहास पुरूष नहीं है जिसकी बदौलत जनता में अपनी पुरानी विरासत का दावा वह पेश कर सके. वर्तमान में जो राजनीतिक स्थिति है, उसके हिसाब से तो बीजेपी को हालांकि इसकी बहुत जरूरत अब रह नहीं गयी है फिर भी पता नहीं क्यों बीजेपी को पुराने कांग्रेसी या फिर शुद्ध कांग्रेसी की तरफ लालायित होकर देखना पड़ रहा है?

Read More