उद्योग जगत ने विज्ञान आधारित खाद्य पैकेजिंग पर चेतावनी लेबल का दिया समर्थन

वरिष्ठ सांसदों, उद्योग प्रतिनिधियों और सिविल सोसायटी का यह संवाद ऐसे समय हुआ है जब राष्ट्रीय व अन्तर्राष्टीय स्वास्थ्य और पोषण विशेषज्ञ एफएसएसएआई से ‘हेल्थ स्टार रेटिंग’ की बजाय ‘चेतावनी लेबल’ को एफओपीएल के तौर पर लागू करने की मांग कर रहे हैं, जो कई वैज्ञानिक शोध और अध्य्यन पर आधारित है।

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असंचारी रोगों से होने वाली मौतों को रोकने और FOPL लागू करने के लिए NHRC की ऐतिहासिक पैरवी

भारत लगभग 15 मिलियन मोटे बच्चों का घर है। यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। औसतन 15 प्रतिशत भारतीय बच्चे किसी न किसी रूप में मोटापे का सामना कर रहे हैं।

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बनारस के मुसहर गांवों में चिंता का सबब बन रहा है कुपोषण का दोहरा बोझ

यदि कुपोषित बच्चों को उनके आरंभिक जीवन में अपर्याप्त पोषण प्राप्त होता है, तो ऐसे बच्चों को कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एनसीडी का ज्‍यादा खतरा होता है बजाय उनके जो पर्याप्त पोषण प्राप्त करते हैं। अवरुद्ध बच्चे, बाद में जीवन में यदि सामान्य पौष्टिक भोजन के बजाय उच्च वसा, नमक और चीनी वाले अनियमित अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन और पेय का सेवन करते हैं, तो मोटापे के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं और बाद में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों जैसे असंचारी कार्डियो-वैस्कुलर रोगों में एक या अन्य रूप का उन्‍हें सामना करना पड़ सकता है।

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बीते एक साल में 91 फीसद बढ़ गयी गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की तादाद, बिहार और गुजरात अव्वल

कुपोषण पर ताजा सरकारी आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत में कुपोषण का संकट और गहरा गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं। इनमें से आधे से ज्यादा यानी कि 17.7 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में हैं।

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कुपोषण से भुखमरी की ओर बढ़ता ‘न्यू इंडिया’!

वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम ने जून 2021 में कहा है कि भारत में कोविड-19 के कारण भूख और गरीबी का संकट भयावह रूप ले रहा है। वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम का सुझाव है कि तात्कालिक खाद्य आवश्यकता की पूर्ति और जीवनयापन के अवसर उपलब्ध कराना दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

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असंचारी रोगों (NCD) से होने वाली मौतों पर केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव को NHRC का नोटिस

राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जनपथ पर प्रकाशित एक स्‍तम्‍भ के आधार पर दायर की गयी याचिका का संज्ञान लेते हुए भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य सचिव को एक नोटिस भेजा है और चार सप्‍ताह के भीतर जवाब मांगा है। मामला पैकेज्‍ड खाद्य पदार्थों के कारण होने वाले असंचारी रोगों से जुड़ा है जो देश में हो रही असमय मौतों का एक बड़ा कारण है।

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छान घोंट के: 60 फीसदी मौतों के पीछे छुपी दूसरी महामारी NCD पर बात करने का यही सही वक्त है!

देश में एफओपीएल विनियमन लाने का इससे बेहतर समय कोई नहीं होगा जब कोविड महामारी ने बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य के सार्वजनिक बहस के केंद्र स्तर पर ला दिया है, साथ ही हर भारतीय की कल्पना को पकड़ लिया है। बच्चों और युवा आबादी में बढ़ते मोटापे और एनसीडी के उच्च प्रसार को देश दूसरी महामारी के रूप में देख रहा है।

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छान घोंट के: अमन के लिए भूख-कुपोषण के खिलाफ जारी संघर्षों पर मुहर है इस बार का नोबेल

अभिजात्य समाज और उनके समर्थन में खड़ा शासन-प्रशासन भुखमरी और कुपोषण के खिलाफ लड़ने वाले लोगों के खिलाफ लगातार हमले करता है। इसी माहौल में क्राई के साथ मिलकर जनमित्र न्यास 50 गांवों में मुसहरों के बीच व्याप्त कुपोषण को समाप्त करने के लिए सतत काम कर रहा है। ऐसे काम के कुछ सुखद परिणाम भी मिलते हैं तो इसकी कीमत भी कभी-कभार चुकानी पड़ती है।

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