इस्माइल शाम्मूत की पेंटिंग

इजराइल के ज़ुल्मों के खिलाफ फिलिस्तीन की खुशहाली के ख्वाब

प्रलेसं इकाई अध्यक्ष डॉ जाकिर हुसैन ने कहा कि इजरायल द्वारा बड़े पैमाने पर महिलाओं, बच्चों की हत्या की गई है। यूरोपीय देशों का दोगलापन सामने आया है। एक तरफ वे ग़जा में खैरात बांट रहे हैं दूसरी तरफ इजराइल को नित नए शास्त्र देकर फिलिस्तीनियों के कत्लेआम में मदद कर रहे हैं। भारत सदैव फिलिस्तीन की जनता के पक्ष में रहा है लेकिन वर्तमान सरकार इजराइल के साथ खड़ी है।

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प्रेमचंद और परसाई को पढ़ना क्यों जरूरी है?

जब देश में गुलामी का दौर था तब साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिले। आजाद भारत में आज का युवा धार्मिक यात्राओं में ही लीन हैं। प्रेमचंद को पहले ब्राह्मण विरोधी प्रचारित किया गया अब उन्हें दलित विरोधी बताया जा रहा है।

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ये नाटो-नाटो क्या है! विश्व शांति के हक में और यूक्रेन युद्ध के खिलाफ AIPSO का प्रदर्शन

मालवा मिल पर प्रदर्शन को देखकर कुछ विजिलेंस वाले भी पहुंचे। उन्होंने नाटो-नाटो लिखे नारे को देखा और पूछने लगे कि यह नाटो-नाटो क्या है, हम तो यह सोचकर आए थे कि नोटा को लेकर कोई प्रदर्शन हो रहा है। जब शांति संगठन के सदस्य विजय दलाल ने उन्हें बताया कि किस तरह से नाटो का भंग होना विश्व शांति के लिए ज़रूरी है तो उन्होंने राहत की साँस ली और लौट गए।

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“सामाजिक बदलाव का क्षण साहित्य की निगाहों से चूकना नहीं चाहिए!”

प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना की 87वीं वर्षगांठ एवं हरिशंकर परसाई की जन्मशताब्दी के अवसर पर प्रलेस की इंदौर इकाई द्वारा ओसीसी होम, रुद्राक्ष भवन, इंदौर में गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने संबंधित विषयों पर अपनी बात रखी।

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“प्रगतिशील लेखन एक आंदोलन है” : प्रलेस, इंदौर का जिला सम्मेलन

सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे इंदौर इकाई के अध्यक्ष चुन्नीलाल वाधवानी ने अपने संबोधन में कहा कि तलवार के जोर पर कब्जा तो किया जा सकता है लेकिन क्रांतिकारी बदलाव नहीं। यह कार्य साहित्यकार कर सकता है। गांधी, भगत सिंह, अंबेडकर के बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।

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इंदौर ने तोड़ी कोरोनाकाल की चुप्पी, जंगल बचाने के लिए पेड़ों की तरह खड़े होकर भीगते रहे लोग

दो साल पहले 2019 में मध्य प्रदेश की सरकार ने हीरा खनन परियोजना के लिए जंगल की नीलामी का टेंडर जारी किया था जिसमें आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ठेका मिला और सरकार ने 62.64 हेक्टेयर क़ीमती वन भूमि कंपनी को अगले पचास वर्षों के लिए पट्टे पर दे दी।

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कुशाभाऊ के भतीजों की मौत और ‘गैंगस्टर पूंजीवाद’ में बदल चुके एक विचार की जकड़बंदी

भाजपा के पितृपुरुष के परिवारीजन सही इलाज के बिना तड़प-तड़प कर मर गए।
पता नहीं, बैकुंठ में बैठे कुशाभाऊ ठाकरे क्या सोच रहे होंगे इस पर। उन्होंने अपने जीवन और चिंतन का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा राम मंदिर आंदोलन में लगाया था। क्या उनके मन में आ रहा होगा कि जितनी ऊर्जा मन्दिर के लिये लगायी, अगर उतनी ऊर्जा देश और राज्य के अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए लगाते तो आज उनके भतीजे अकाल मौत न मरते…?

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नौजवानों को लोहिया और भगत सिंह दोनों के विचारों से सीखने की जरूरत है : RMLSS

फासिस्ट ताकतों का मुकाबला करने के लिए आज भगत सिंह और डॉक्टर लोहिया के मार्ग पर चलना और उनके विचारों को फैलाने की जरूरत है।

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इंदौर: किसान संगठनों ने किया रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन, नये कृषि कानून रद्द करने की मांग

प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशन के अंदर जाकर मालवा एक्सप्रेस को रोकना चाहते थे लेकिन स्टेशन पर 500 से ज्यादा पुलिस तैनात कर कार्यकर्ताओं को स्टेशन में प्रवेश से रोका गया उसके बाद कार्यकर्ताओं ने स्टेशन पर ही करीब 1 घंटे धरना दिया और सभा की। इससे पूर्व कार्यकर्ताओं ने लक्ष्मी बाई नगर रेलवे स्टेशन पर भी प्रदर्शन किया तथा ट्रेन के सामने खड़े होकर नारेबाजी की।

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किसान-मजदूर एकता से ही रुकेगी कॉर्पोरेट की मनमानी: श्रमिक संसद में मेधा पाटकर

सेंचुरी आंदोलन ने 1208 दिनों के सत्याग्रह से इतिहास रचा है और यूनियंस का तथा समाज का भी प्रबोधन किया है। पिछले 3 साल से ज्यादा समय से चल रहा यह आंदोलन देश के श्रमिक आंदोलन को निश्चित ही एक दिशा देगा। यहां से उठी आवाज किसानों मजदूरों की लड़ाई को मंजिल तक पहुंचाएगा। देश और प्रदेश की सरकार भले ही पूंजीपति की चाकरी में जुटी रहे लेकिन अंततः जीत मजदूरों की ही होगी।

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