नदियों के किनारे बसे समुदायों के जीवन को नीतिगत सच्चाई का हिस्सा बनाया जाए: रमाशंकर सिंह

इतिहासकार डॉ. शुभनीत कौशिक ने कहा कि इतिहास की विविध व्याख्याएं और इतिहास लेखन की विभिन्न धारणाएं कई ऐतिहासिक शोध प्रविधियों का रास्ता खोलती हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इतिहास अतीत और वर्तमान के मध्य अंतहीन संवाद है और दूसरी ओर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इतिहास अतीत को वैसे ही दिखाना है जैसे वह कभी घटित हुआ था। इन दोनों परिप्रेक्ष्यों के अलावा उन्होंने इतिहास में क्यों की तलाश को जानना इतिहासकार का दायित्व माना।

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डॉ. रामविलास शर्मा और भारत का इतिहास

इतिहास की समस्याओं से जूझना मानो उनकी पहली प्रतिज्ञा हो। वे भारतीय इतिहास की हर समस्या का निदान खोजने में जुटे रहे। उन्होंने जब यह कहा कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं, तब इसका विरोध हुआ था। उन्होंने कहा कि आर्य पश्चिम एशिया या किसी दूसरे स्थान से भारत में नहीं आए हैं, बल्कि वे भारत से पश्चिम एशिया की ओर गए हैं। वे लिखते हैं – ‘‘दूसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व बड़े-बड़े जन अभियानों की सहस्त्राब्दी है।‘’

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स्मृति शेष: इतिहास का क्राफ्ट और प्रो. बी.पी. साहू का अवदान

उनका मानना था कि आज के समाज की बनावट और उसकी संस्कृतियां जिसमें उसका खान-पान भी शामिल है, उस पूर्ववर्ती समाज के साथ जुड़़ा हुआ होता है और वह हमारे समय तक आता है। यानी प्रागैतिहास इतिहास का जीवंत पन्ना होता है।

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स्मृतिशेष: हिंदीपट्टी के युवाओं में वाम-इतिहासबोध रोपने वाले एक अभिभावक का जाना

दिल्ली के बौद्धिक सर्किल ने लाल बहादुर जी को उस तरह से सपोर्ट नहीं किया जैसा उन्हें करना चाहिए था। शायद दिल्ली की अंग्रेजी दुनिया में ऐसे लोगों को ज्यादा सर नहीं चढ़ाया जाता जो गैर-अंग्रेजी फलक से क्रांतिकारी चेतना का विश्वविद्यालयी दुनिया से बाहर विस्तार चाहते हैं।

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इतिहास के सिलेबस में UGC का किया ताज़ा बदलाव उर्फ RSS का ‘आइडिया ऑफ भारत’

यह पहली बार हुआ है कि यूजीसी ने पूरे का पूरा पाठ्यक्रम ही नए सिरे से गढ़ने की कोशिश की है, जिसमें से विश्वविद्यालय मात्र 20-30 प्रतिशत की ही काट-छांट कर पाएंगे। इससे पहले यूजीसी सिर्फ कुछ सामान्य निर्देश देता था।

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