 
			हाथियों की लड़ाई : सलीम हिंदुस्तान का शहंशाह कैसे बना
राजनीतिक संघर्षों के बीच पारिवारिक राजनीति और परिवार में अंदरखाने होने वाले संघर्षों को दर्शाती यह कहानी आज के वक्त में मुग़लों पर नए सिरे से शुरू हुई बहस में बेहद फायदेमंद साबित होगी।
Read MoreJunputh
 
			राजनीतिक संघर्षों के बीच पारिवारिक राजनीति और परिवार में अंदरखाने होने वाले संघर्षों को दर्शाती यह कहानी आज के वक्त में मुग़लों पर नए सिरे से शुरू हुई बहस में बेहद फायदेमंद साबित होगी।
Read More 
			इतिहासकार डॉ. शुभनीत कौशिक ने कहा कि इतिहास की विविध व्याख्याएं और इतिहास लेखन की विभिन्न धारणाएं कई ऐतिहासिक शोध प्रविधियों का रास्ता खोलती हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इतिहास अतीत और वर्तमान के मध्य अंतहीन संवाद है और दूसरी ओर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इतिहास अतीत को वैसे ही दिखाना है जैसे वह कभी घटित हुआ था। इन दोनों परिप्रेक्ष्यों के अलावा उन्होंने इतिहास में क्यों की तलाश को जानना इतिहासकार का दायित्व माना।
Read More 
			इतिहास की समस्याओं से जूझना मानो उनकी पहली प्रतिज्ञा हो। वे भारतीय इतिहास की हर समस्या का निदान खोजने में जुटे रहे। उन्होंने जब यह कहा कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं, तब इसका विरोध हुआ था। उन्होंने कहा कि आर्य पश्चिम एशिया या किसी दूसरे स्थान से भारत में नहीं आए हैं, बल्कि वे भारत से पश्चिम एशिया की ओर गए हैं। वे लिखते हैं – ‘‘दूसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व बड़े-बड़े जन अभियानों की सहस्त्राब्दी है।‘’
Read More 
			उनका मानना था कि आज के समाज की बनावट और उसकी संस्कृतियां जिसमें उसका खान-पान भी शामिल है, उस पूर्ववर्ती समाज के साथ जुड़़ा हुआ होता है और वह हमारे समय तक आता है। यानी प्रागैतिहास इतिहास का जीवंत पन्ना होता है।
Read More 
			दिल्ली के बौद्धिक सर्किल ने लाल बहादुर जी को उस तरह से सपोर्ट नहीं किया जैसा उन्हें करना चाहिए था। शायद दिल्ली की अंग्रेजी दुनिया में ऐसे लोगों को ज्यादा सर नहीं चढ़ाया जाता जो गैर-अंग्रेजी फलक से क्रांतिकारी चेतना का विश्वविद्यालयी दुनिया से बाहर विस्तार चाहते हैं।
Read More 
			यह पहली बार हुआ है कि यूजीसी ने पूरे का पूरा पाठ्यक्रम ही नए सिरे से गढ़ने की कोशिश की है, जिसमें से विश्वविद्यालय मात्र 20-30 प्रतिशत की ही काट-छांट कर पाएंगे। इससे पहले यूजीसी सिर्फ कुछ सामान्य निर्देश देता था।
Read More 
			इतिहासकार विजया रामास्वामी का जन्म 1953 में हुआ था और 1 जून, 2020 को दिल्ली में उनका निधन हो गया
Read More 
			व्यालोक के साप्ताहिक कॉलम का पहला अंक
Read More