आर्टिकल 19: ये TRP का घोटाला नहीं, दुर्गंध पर एकाधिकार की लड़ाई है!

टीआरपी मामला ही नहीं है। खेल ये है कि हिंदुत्व के एजेंडाधारी चैनलों और एंकरों को अर्णब गोस्वामी ने एक झटके में पैदल कर दिया है, तो टीवी के पर्दे की खिसियानी बिल्लियां और बागड़बिल्ले नैतिकता का खंभा नोच रहे हैं।

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गाहे-बगाहे: सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत…

एक बार भी उनके मुंह से बकार नहीं फूटी कि फैसला गलत हुआ है; कि हमने तो धर्म के लिए जोखिम लिया लेकिन यहां तो उस जोखिम और साहस की बेइज्जती हुई जा रही है। एक बार भी किसी ने एक शब्द नहीं कहा कि फैसला गलत हुआ था क्योंकि हमने धर्म के लिए जो राह चुनी थी वह सुनियोजित थी और भारतीय लोकतन्त्र में उसके लिए जो सजा मुकर्रर है उससे वे बरी नहीं होना चाहते।

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गाहे-बगाहे: कुछ नहीं है तो अदावत ही सही!

महाभारत अनेक झूठी बातों का पुलिंदा ही है, बेशक इस झूठ में पुरुष-श्रेष्ठता के कई महान और घृणित प्रयास निहित हैं और स्त्रियां सबसे कमजोर जीव हैं। उन्होंने आँखों पर पट्टी बांधने, सती होने, यौन-शेयरिंग करने और मुसलसल गुलामी व बलात्कार झेलने के अलावा किया ही क्या है?

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“बाबरी के बाद प्रगतिशील लोगों ने कश्मीर को मुस्लिम बहुसंख्यक का मुद्दा समझ कर गलती कर दी”!

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने की पहली बरसी पर फिल्मकार संजय काक से जितेंद्र कुमार की बातचीत

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तसलीमा नसरीन हिंदुत्व का काम कैसे आसान कर देती हैं?

यह बयान अल्पसंख्यकों के खिलाफ जल रही आग में घी डालने का काम तो नहीं करेगा और जाने अनजाने हिंदुत्व के लिए मददगार साबित हो जायेगा?

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