बुलडोजर संस्कृति का राजनीतिक अर्थशास्त्र और असमानता की जटिल गुत्थी

जब असमानता को समझना इतना जटिल है तो उसे अपने सत्ता सुख के लिए बढ़ाना कहां से न्यायोचित है? यह देश ऐसा है जहां दो समुदायों के बीच द्वेष न हो इसलिए शिव ने हलाहल पान किया है। जिसे हम सुप्रीम सैक्रिफाइस कहते हैं वह महादेव ने किया। क्या हम उनके बलिदान को व्यर्थ जाने देंगे? मत भूलिए, इन्‍हीं सत्तानवीसों से मुक्ति के लिए कृष्ण ने इंद्र पूजा पर रोक लगायी और लोकतंत्र की स्थापना की थी। आप कृष्ण भक्त होकर कृष्ण का तिरस्कार मत कीजिए।

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विधानसभा चुनाव नतीजे: आर्थिक स्वतंत्रता के बिना क्या स्वतंत्र राजनीतिक निर्णय ले सकती है जनता?

संविधान निर्माताओं की आशंका और चेतवानी को ध्यान में रखते हुए देश के संसदीय चुनाव को इसी नजरिये से देखना चाहिए कि क्या आर्थिक रूप से विपन्न समाज राजनैतिक निर्णय लेने में स्वतंत्र है? या कुछ आर्थिक मदद करके उसकी राजनैतिक स्वतंत्रता को छीना अथवा प्रभावित किया जा सकता है?

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भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

अनेक अर्थशास्त्रियों को यह आशा थी कि नवउदारवाद और वैश्वीकरण जैसी आधुनिक अवधारणाएं भारतीय सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था से जातीय और लैंगिक गैरबराबरी को दूर करने में सहायक होंगी किंतु ऐसा हुआ नहीं।

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