क्रिकेट की बदलती रीत या कॉर्पोरेट की पिच पर राष्ट्रवाद की जीत?

पाकिस्तान की जीत पर भारत में पहले भी पटाखे फूटते रहे हैं और जब हम पाते हैं कि दो राष्ट्र का बंटवारा होने के बावजूद एक दूसरे की रिश्तेदारी आज भी दोनों देशों में है और धर्म के नाम पर राजनीति करना, उनको बरगलाना और अपनी सियासी रोटियां सेंकना- यह सब आजादी के बाद से ही लगातार होता आया है तो हमें कोई आश्चर्य नहीं लगता।

Read More

सामाजिक न्याय और पर्यावरण के लिए जो हितकारी नहीं, वह लक्षद्वीप का ‘विकास’ नहीं

लक्षद्वीप में जो नयी नीतियां सुझायी गयी हैं उनसे मूलत: बड़े उद्योग का ही लाभ होगा. ताज्जुब है कि सरकार क्यों उद्योग हित में जनता के हित को दरकिनार करने पर उतारू है? इन नीतियों से जलवायु परिवर्तन पर किये गये वादों पर भी भारत खरा नहीं उतरेगा, समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा और जलवायु संकट गहराएगा.

Read More