जातिवाद की नींव पर टिके समाज में जातिगत जनगणना का क्या मतलब है

बिहार के एक वरिष्ठ नौकरशाह कहते हैं, ‘बिहार का जातिवाद बिल्कुल ही अलग है। बाकी जगहों पर आप देखेंगे कि क्षेत्रवाद हावी हो जाता है जातिवाद पर। बिहार में हरेक पहचान से अलग और ऊपर जाति हावी है। सबकी पसंद आखिरकार जाति पर ही जाकर टिक जाती है, विनाश का यही मूल कारण है।’

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कलंकित अतीत और धुँधला भविष्य: न्याय की तलाश में विमुक्त जन

इन समुदायों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानिए। वे सब आपके भाई-बहन हैं, उनसे प्यार कीजिए। उनकी सहायता कीजिए। उनको हर तरह का न्याय मिले, इसमें मदद दीजिए।

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आरक्षण अर्थात घर में नहीं है खाने को, अम्मा चली…

सरकार क्योंकि विश्व बैंक-अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के ढांचागत समायोजन कार्यक्रम के क्रियान्‍वयन या उनसे कर्ज़ लेने पर लादी गयी शर्तों के अनुपालन में लगी हुई है जिसके तहत सरकारी क्षेत्र के आकार और उसके रोज़गार में कटौती की जाती है इसलिए उसने यह जानते हुए भी कि इस सरकारी क्षेत्र में रोज़गार पाने के अवसर ही नहीं बचे या बचने हैं, सबको खुश करने के लिए नौकरी का निमंत्रण पत्र बांटना शुरू कर दिया। वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग को खुश करने के लिए किया जाने वाला संशोधन इसी तरह का चुनावी प्रयास है।

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हर्फ़-ओ-हिकायत: कालेलकर आयोग के आईने में ओबीसी आरक्षण का अंतिम दांव

ऐतिहासिक विवादों वाले बीते मॉनसून सत्र में सर्वसम्मति से पास ओबीसी कानून में संशोधन ने  राज्य सरकारों के ये अधिकार दे दिया है कि वे अपने राज्य के लिए अन्य …

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जातिगत जनगणना क्यों जरूरी है?

इससे सबसे पहले तो सभी राजनीतिक दलों को अपना लोकतांत्रीकरण करने को मजबूर होना होगा। इसके बाद सरकार को नयी श्रेणियों की रचना करनी पड़ सकती है। अनुसूचित जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/घुमंतू-विमुक्त में शामिल कई जातियां इधर से उधर हो सकती हैं।

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बात बोलेगी: बिगड़ा हुआ है रंग जहान-ए-ख़राब का…

मौसम पर ये तोहमत लगती है कि एक-सा नहीं रहता। माशूकाएं अपने आशिक पर ये संदेह करती रहती हैं कि ‘मौसम की तरह तुम भी बदल तो न जाओगे’? मौसम …

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