ये जनसैलाब कुछ कहता है…

इस बार मीडिया संदेहास्पद स्थिति में है। भाजपा नेताओं की चुनावी रैलियों को तो मीडिया तवज्जो दे रहा है मगर तेजस्वी की रैलियों को ऐसे दरकिनार कर दे रहा है जैसे उसे कवर नहीं करना चाहता।

Read More

बेमौसम कुछ भी अच्छा नहीं होता, बारिश हो या खैरात!

अब यदि भविष्य में बरसात से पहले कहीं चुनाव का मौसम हो, तो संकल्प-पत्रों में मुफ़्त छाता, नाव और लाइफ जैकेट बांटने की घोषणाओं का सिलसिला शुरू हो सकता है. वैसे भी हमारे प्रधानजी को तो यह तक पता होता है कि कौन-कौन रेनकोट पहनकर नहाता है देश में. उनके लिए रेनकोट को भी मुफ्त वाली सूची में शामिल किया जा सकता है.

Read More

दलितों को दूसरों के हेलिकॉप्टर से चलने वाले नेताओं से सावधान रहना चाहिए

चंद्रशेखर जब कांशीराम के सत्तावादी मिशन को ही आगे बढ़ाने की बात करता है, तो यदि उसे सत्ता में कुछ हिस्सेदारी मिल भी जाय तब भी सवाल यह बना रहेगा कि क्या इससे दलितों का कोई कल्याण हो पाएगा?

Read More

चुनावीबिहार-6: बिहारी ‘जुवा’ मने ई बा का बा, थोड़ी सी कमाई और गुटखे पर चर्चा

सबसे पढ़ी-लिखी और स्वघोषित स्वयंभू मुख्यमंत्री पुष्पम प्रिया की पार्टी के 50 फीसदी से अधिक नामांकन पहले ही प्रयास में रद्द हो गए, जबकि उनकी पार्टी की तथाकथित प्रवक्ता की धांसू अंग्रेजी वाला वीडियो लोगों को हंसाने के काम आ रहा है।

Read More

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए RTE Forum का शिक्षा जन-घोषणापत्र

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के घोषणापत्र में राज्य में शिक्षा व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को बेहतर करने की दिशा में निम्नलिखित घोषणाओं को शामिल किए जाने की मांग

Read More

राग दरबारी: गोबरपट्टी के राजनीतिक टिप्पणीकार बिहार में ‘विकास की जाति’ को क्यों नहीं देखते?

किसका विकास हो रहा है मतलब किस जाति का विकास हो रहा है या फिर कह लीजिए कि विकास की जाति क्या है, इसे समझने का सबसे आसान तरीका यह जानना है कि किसके शासनकाल में किस जाति-समुदाय के लोगों की प्रतिमा लगायी जाती है; किसके नाम पर संस्थानों के नाम रखे जाते हैं; और किसके नाम पर सड़क का नामकरण हो रहा है।

Read More

एक शासक को काम करने के लिए आखिर कितने वर्ष चाहिए?

यह स्थिति केवल बिहार में नहीं है, लगभग पूरी दुनिया में है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को अभी और काम करना है। रूस में पुतिन दशकों से बने हैं और अभी हटना नहीं चाहते। चीन में शी जिनपिंग ने आजीवन गद्दी पर बने रहने का अधिकार एक ही बार में हासिल कर लिया है। ये सब थोड़े से उदाहरण हैं।

Read More

चुनावीबिहार-5: भाजपा के धुरंधरों को नहीं पता कि उनके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक चुकी है!

जिस तरह प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी ने सारे पड़ोसियों से संबंध एक समान स्तर पर बिगाड़े हैं, भाजपा ने मिथिलांचल से लेकर भोजपुर तक अपने कैडर्स को एक जैसा नाराज़ किया है।

Read More

आधे घंटे की प्रेस वार्ता में 14 बार नीतीश कुमार का नाम! ये ‘राष्ट्रऋषि’ का प्रेम है या…?

कहा जाता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका। यदि गठबंधन इतना ही फेविकोल के जोड़ टाइप अटूट था, तो उसे इतनी बार सफाई देने की क्या जरूरत थी?

Read More

राग दरबारी: मुद्दाविहीन चुनाव और लूज़र जनता है बिहार का सच

नेता राजनीतिक गणित जितना भी कर लें, हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि आम जनता परसेप्‍शन पर भी निर्णय लेती है। आम लोगों में चिराग पासवान के जेडीयू के प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने को वह इस रूप में भी ले रही है कि इस खेल के पीछे बीजेपी है।

Read More